उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने थराली सहित अन्य आपदाग्रस्त स्थानों में मृतकों के परिजनों तथा पूर्णत: क्षतिग्रस्त मकानों के लिए पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश देते हुए कहा कि घायलों के उपचार की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
शनिवार रात राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) में चमोली जिले के थराली में अतिवृष्टि से आई आपदा के बाद संचालित राहत और बचाव कार्यों की अधिकारियों के साथ समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने ये निर्देश दिए ।
थराली में शुक्रवार रात अतिवृष्टि के दौरान टूनरी बरसाती नाले में आए उफान से एक बड़े क्षेत्र में मलबा फैल गया जिसकी चपेट में आकर 20 वर्षीय युवती की मृत्यु हो गयी जबकि एक अन्य व्यक्ति लापता हो गया ।
घटना में थराली तहसील कार्यालय, एसडीएम आवास, कई मकान और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं जबकि 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया ।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन और चमोली के जिलाधिकारी डॉ संदीप तिवारी से दिनभर चलाए गए कार्यों की जानकारी लेने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी सरकार आपदा की इस घड़ी में थराली के लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है तथा सभी राहत और बचाव दलों को युद्धस्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं । उन्होंने कहा कि वह स्वयं लगातार बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं ।
इस दौरान, मुख्यमंत्री ने थराली तथा अन्य स्थानों में आई आपदा में जिन लोगों के भवन पूर्णतः क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की । उन्होंने मृतकों के परिजनों को भी पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के अधिकारियों को निर्देश दिए ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों के उपचार की समुचित व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जाएगी ।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि घायलों को भी आपदा मानकों के तहत अनुमन्य सहायता जल्द से जल्द प्रदान की जाए।
धामी ने इस दौरान जिलाधिकारी के नेतृत्व में प्रशासन की 'क्विक रिस्पांस' की सराहना करते हुए कहा कि इसकी वजह से बचाव एवं राहत कार्य तुरंत शुरू किया जा सका ।
भविष्य में ऐसी आपदाओं से जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए धामी ने राज्य की ऐसी सभी नदियों में ‘ड्रेजिंग’ (नदी के तल से रेत, बजरी, पत्थर निकालना) या ‘चैनेलाइजेशन’ करने को कहा जिनके किनारे बस्तियां हैं ।
उन्होंने कहा कि जहां-जहां भी नदियों का जलस्तर ‘ड्रेजिंग’ न होने की वजह से प्रभावित हुआ है, वहां आपदा के मानकों के तहत ‘ड्रेजिंग’ का कार्य किया जाए। मुख्यमंत्री ने इसके लिए सभी जिलों से जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा ।
मुख्यमंत्री ने राहत शिविरों में ठहराए गए लोगों के लिए अच्छे भोजन, जलपान, बच्चों के लिए दूध, दवाइयां, ओढ़ने व बिछाने के लिए पर्याप्त मात्रा में बिस्तर और शौचालय इत्यादि की पर्याप्त व्यवस्था करने को भी कहा ।
धराली, थराली और स्यानाचट्टी, तीनों जगह आयी आपदाओं में पानी के साथ बड़ी मात्रा में मलबा और बड़े पत्थर आने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पता लगाना आवश्यक है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कितनी मात्रा में ‘मोरेन’ (हिमनदों द्वारा साथ बहाकर लाया गया मलबा जो बाद में वहीं जमा रह जाता है) है ।
उन्होंने इसके लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), भारतीय प्रोद्यैगिकी संस्थान (आईआईटी ), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) जैसे शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर अध्ययन करने के निर्देश दिए ।
उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार से भी अनुरोध करेंगे कि सभी हिमालयी राज्यों में इस तरह का अध्ययन किया जाए ताकि इनके कारणों को समझा जा सके और भविष्य में होने वाली आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।