प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, हम समय सीमा को लगातार नहीं बढ़ा सकते। हम अब इसे बढ़ा नहीं रहे हैं और न ही किसी को छूट देने जा रहे हैं। तकनीक उपलब्ध है, आप उसे बदलिए। पीठ ने इसके साथ ही उस अपील को भी ठुकरा दिया कि इससे गरीब ड्राइवरों की रोजी रोटी प्रभावित होगी क्योंकि डीजल वाहनों को सीएनजी में बदलने के लिए कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है।
पीठ में न्यायाधीश ए.के. सीकरी और न्यायाधीश आर भानुमति भी शामिल थे। पीठ ने 31 मार्च को सभी डीजल टैक्सियों को सीएनजी में बदलने के लिए 30 अप्रैल तक की समय सीमा तय की थी। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में करीब 60 हजार टैक्सियां पंजीकृत हैं और उनमें से 21 हजार डीजल से चलती हैं। अधिकारी ने बताया, यहां स्थानीय रूटों पर डीजल कैब को चलाने पर पहले ही पाबंदी है। जिन टैक्सियों के पास अखिल भारतीय परमिट है उन्हें करीब 200 किलोमीटर के करीब तय करने की जरूरत है जो कि मौजूदा नियमों का उल्लंघन नहीं है। अखिल भारतीय परमिट वाली टैक्सियां दिल्ली के भीतर नहीं चलाई जा सकती।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    