पिछले दिनों केरल का सबरीमला मंदिर चर्चा का केंद्र बना हुआ था। 14 से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर खूब विवाद हुआ था। यह मुद्दा धार्मिक से ज्याद राजनैतिक बन गया था। भारतीय जनता पार्टी पर इस मुद्दे को लेकर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा था। अब जबकि आम चुनाव हैं जाहिर सी बात है केरल में एक बार फिर यह मुद्दा गरमाएगा और इस पर सियासी दाव-पेंच अपनाए जाएंगे।
वोट के लिए अयप्पा
आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का केरल में प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। संभावना है कि पार्टी यहां सबरीमला मंदिर को भी एक मुद्दा बनाएगी। लेकिन केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बुधवार को राजनीतिक दलों से कहा कि किसी भी हालत में सबरीमाला मंदिर के नाम पर वोट नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने बुधवार को मीडिया को जानकारी दी कि सभी राजनीतिक दलों को स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी कीमत पर भगवान अयप्पा के नाम का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में न किया जाए। मीना ने कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका धार्मिक अर्थ है।"
अध्यक्ष नहीं रखते इत्तेफाक
हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पी.एस. श्रीधरन पिल्लई का इस मसले में मत बिलकुल अलग है। उनका कहना है कि, “जिस तरह बाबरी मस्जिद, अयोध्या और गांधीजी की मृत्यु पर चर्चा की गई है, उसी तरह सबरीमाला पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि, यहां कोई भड़केगा नहीं और केरल में भगवान अयप्पा के नाम पर वोट नहीं दिए जाएंगे जैसे अयोध्या के नाम पर दिए जाते हैं।"
मंदिर बनेगा मुद्दा
बीते 28 सितंबर को केरल में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद से मामला गरमा गया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश पाने की पात्र हैं। कुछ हिंदू समूहों ने कोर्ट के इस फैसले पर विरोध प्रदर्शन किए थे। इसके बाद धीरे-धीरे मामला बिगड़ता गया और कई जगहों पर उग्र प्रदर्शन भी हुए। कोर्ट के आदेश के बावजूद भी मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। कुछ महिलाओं ने हालांकि दावा किया था कि उन्होंने अंदर जाकर भगवन अयप्पा के दर्शन किए है। केरल की एक महिला को अयप्पा के दर्शन के बाद उसके घरवालों ने बहुत प्रताड़ित भी किया था। यही वजह है कि चुनाव में एक बार फिर सबरीमला मंदिर बड़ा मुद्दा बन कर उभर सकता है।