उत्तर प्रदेश के डॉक्टर कफील खान ने अपने निलंबन को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक, नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम, प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिफिक फोरम और मेडिकल सर्विसेज सेंटर को पत्र लिखा है। गुरुवार को लिखे पत्र में डॉ. खान ने मदद की मांग की है।
उन्होंने मेडिकल संस्थानों को लिखे अपने पत्र में लिखा कि कोर्ट और 9 अलग-अलग पूछताछ में उन्हें चिकित्सकीय लापरवाही और भ्रष्टाचार के संबंध में क्लीन चिट दे दी गई है, लेकिन इसके बावजूद वो पिछले 3 वर्षों से निलंबित हैं और बीआरडी ऑक्सीजन ट्रेड में शामिल सभी अन्य डॉक्टरों को उनको छोड़ बहाल कर दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को 25 से अधिक पत्र लिखकर निलंबन को रद्द करने का अनुरोध किया ताकि वे इस संकट की घड़ी में कोरोना योद्धा के रूप में काम कर सकें, लेकिन इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश सरकार न तो उनके निलंबन को रद्द कर रही है और न ही उन्हें नौकरी से हटा रही है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान साल के शुरूआती महीने डॉ. कफील खान सुर्खियों में आ गए थे। उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। जिसको लेकर बीते महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था, “न तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 के तहत डॉ. कफील खान को हिरासत में रखना और न ही हिरासत की अवधि बढ़ाना कानून की नजर में सही है...उनके भाषण से अलीगढ़ की शांति को खतरा नहीं लगता, बल्कि उन्होंने तो राष्ट्रीय अखंडता और एकता की बात कही थी...उन्हें तत्काल रिहा किया जाए।” रिहाई के बाद डॉ. कफील खान ने आउटलुक से विस्तृत बातचीत की थी।
इससे पहले डॉ. कफील खान गोरखपुर बीआरडी कॉलेज मामले में गिरफ्तार किए थे। जांच के बाद उन्हें निर्दोष पाया गया था।