दिल्ली मेट्रो रेल कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की शिवानी ने कहा कि हम मुख्यमंत्री को उनका चुनावी वादा याद दिलाने आये हैं। उन्होंने हमसे ठेका प्रथा खत्म करने की बात कही थी। उनका कहना था कि दिल्ली में साठ लाख ठेका कर्मचारी हैं और हमारे ही समर्थन से ही यह सरकार बनी है। इसलिए हम चाहते हैं कि हमारी मांगें तुरंत पूरी की जायें।
दिल्ली सचिवालय के बाहर पहुंचे कर्मचारी अपने प्रतिनिधिमंडल के हाथों मुंख्यमंत्री को ज्ञापन देना चाहते थे। जब उनका ज्ञापन लेने कोई नहीं पहुंचा तो कर्मचारी सचिवालय गेट के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। इस बीच पुलिस से उनकी झड़प हो गई जिसमें कई लोग घायल हो गये। नाराज कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी की और उनका पुतला फूंक दिया। बाद में श्रम मंत्री के निजी सचिव ने आकर कर्मचारियों का ज्ञापन लिया।
कर्मचारियों ने सरकार को पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। इसमें कर्मचारियों को स्थाई करने, मनमाने तरीके से ठेका कर्मचारियों को निकाले जाने से रोकने, सिक्योरिटी राशि के नाम पर 20-30 हज़ार रुपये की वसूली रोकने, न्यूनतम मजदूरी और पीएफ जैसी सुविधाएं देने की मांग शामिल थी।
प्रदर्शन में मेट्रो कर्मचारियों के समर्थन में नौजवान भारत सभा, दिल्ली मज़दूर यूनियन, दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन और दिशा छात्र संगठन ने भी हिस्सेदारी की।