भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक गुरुवार से जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर जाएंगे। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले वर्ष समाप्त किए जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा। लेकिन यूरोपीय यूनियन के राजनयिक इस समूह का हिस्सा नहीं होंगे। पिछले साल अक्टूबर महीने में यूरोपीय संसद के 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर का दौरा किया था। इस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जताई थी। वैसे बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से अब तक कोई बड़ी घटना नहीं हुई है, वहां शांति कायम है। दिल्ली से ये राजनयिक गुरुवार को हवाई मार्ग से श्रीनगर जाएंगे और वहां से वे जम्मू जाएंगे।
वहां ये सभी राजनयिक दौरे के दौरान उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात करेंगे। अमेरिका के अलावा प्रतिनिधिमंडल में बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाइजीरिया और अन्य देशों के राजनयिक भी शामिल होंगे। ब्राजील के राजदूत को भी राज्य के दौरे पर जाना था लेकिन दिल्ली में अपनी व्यस्तता के चलते उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।
यूरोपीय यूनियन के इस दौरे पर न जाने के पीछे क्या है कारण
इस बार यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों के इस दौरे में शामिल न होने का कारण क्या है, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। हालांकि, न्यूज एजेंसी एएनआइ के अनुसार भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, यूरोपीय यूनियन के राजनयिक अलग समूह में जम्मू-कश्मीर का दौरा करना चाहते हैं, लेकिन अभी इसकी तैयारी करना संभव नहीं है। ऐसा बताया जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों को कुछ समय बाद कश्मीर के दौरे पर ले जाया जाएगा। साथ ही यूरोपीय यूनियन ने नजरबंदी के तहत तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात कराने पर जोर दिया है जिस पर सरकार विचार कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में राजनयिकों के दौरे के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन से संपर्क बनाए हुए है। हालांकि, यूरोपीय यूनियन की ओर से इस जम्मू-कश्मीर दौरे का हिस्सा बनने के लिए सहमति नहीं मिल सकी है। केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक, दरअसल, यूरोपीय यूनियन के राजनयिक अलग समूह में जाना चाहते हैं, लेकिन अभी इतने कम समय में ऐसी तैयारियों कर पाना संभव नहीं है।
विदेशी राजनयिकों ने की थी मांग
अधिकारियों के मुताबिक, बृहस्पतिवार को राज्य के दौरे पर जाने वाले राजनयिक सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा राज्य के सुरक्षा हालात के बारे में भी अवगत कराया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि कई देशों के राजनयिकों ने सरकार से कश्मीर के दौरे का अनुरोध किया था। यह दौरा कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रोपगेंडा की हकीकत से विदेशी राजनयिकों को अवगत कराने की सरकार की कोशिशों के तहत हो रहा है।
23 यूरोपीय सांसदों ने की थी यात्रा
इससे पहले यूरोपीय संघ के 23 सांसदों ने राज्य का दौरा कर हालात की जानकारी ली थी। हालांकि इस दौरे की व्यवस्था एक गैर सरकारी एनजीओ की ओर से की गई थी।
पिछले साल हटा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की ओर से भारत पर कई बेबुनियाद आरोप लगाए गए। हालांकि, इन आरोपों में कोई दम नहीं था। अमेरिका और चीन समेत कई देशों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया। बता दें कि अक्टूबर महीने में यूरोपीय संसद के 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भी कश्मीर का दौरा किया था, इसके बाद अब यह किसी विदेशी समूह का दूसरा दौरा है।