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उमर अब्दुल्ला के खिलाफ भी पीएसए हटा, 8 महीने से थे नजरबंद, 4G इंटरनेट सेवा बहाल करने की रखी मांग

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटाते हुए उन्हें...
उमर अब्दुल्ला के खिलाफ भी पीएसए हटा, 8 महीने से थे नजरबंद, 4G इंटरनेट सेवा बहाल करने की रखी मांग

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटाते हुए उन्हें मंगलवार को रिहा कर दिया गया। बाहर आने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अभी हम जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, इसलिए जम्मू-कश्मीर और इसके लोगों के बारे में बात तब करेंगे जब कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई खत्म हो जाएगी।

मीडिया के साथ संक्षिप्त बातचीत में उमर ने कहा कि जिस तरह जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में तोड़ा गया, यहां के बच्चों को महीनों तक स्कूल नहीं जाने दिया गया, दुकानदार और शिकारा मालिक कोई कमाई नहीं कर पाए, 5 अगस्त 2019 से जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में मौजूदा हालात ठीक होने के बाद मैं बात करूंगा।

प्रदेश के सभी नेताओं को जल्दी रिहा करने की मांग

पूर्व मुख्यमंत्री ने हिरासत में रखे गए प्रदेश के सभी नेताओं को जल्दी रिहा करने और 4G इंटरनेट सेवा बहाल करने की मांग की। कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में इंटरनेट स्पीड बढ़ाने की मांग लगातार हो रही है। अभी वहां 2G इंटरनेट सेवा दी जा रही है जो काफी धीमी होती है। उमर अब्दुल्ला के पिता डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ पीएसए हटाते हुए सरकार ने पिछले दिनों उन्हें भी रिहा कर दिया था। हालांकि एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अभी तक हिरासत में ही हैं। इनके अलावा प्रदेश के अन्य अनेक नेताओं को नजरबंद किया गया था जिन्हें धीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है।

उमर पर लगाया गया था लोगों को प्रभावित करने का आरोप

उमर अब्दुल्ला के खिलाफ जो पीएसए डोजियर सरकार ने तैयार किया उसमें कहा गया था कि उमर बड़ी संख्या में मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। आतंकवादियों के मतदान के बहिष्कार के आह्वान के बावजूद अब्दुल्ला की अपील पर बड़ी संख्या में लोगों ने वोटिंग की थी। एक आरोप यह भी है कि उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट पर अनुच्छेद 370 और 35 ए पर सरकार के फैसले के खिलाफ लोगों को उकसाने की कोशिश की जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर उत्पन्न हो गया।

सारा पायलट ने दी थी चुनौती

उमर अब्दुल्ला पर पीएसए लगाने की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी। उमर को 5 अगस्त को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था, जिसकी मियाद 2 फरवरी को खत्म हो रही थी। इस अवधि के खत्म होने के पहले ही उमर पर पीएसए के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसे उनकी बहन सारा पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। सारा ने इसे उमर के मौलिक अधिकारों का हनन बताया था। सारा ने याचिका में कहा कि उमर के खिलाफ सरकार के पास कोई सबूत नहीं है और सरकार से असहमत होना हर नागरिक का अधिकार है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा भी था कि क्या वह उमर को हिरासत से रिहा करने पर विचार कर रही है। 

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