मध्यप्रदेश के नीमच जिले में आज एक किसान ने अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलने से आहत होकर उपज में आग लगा दी। संभवतः यह पहला मौका था जब कृषि उपज मंडी में किसी किसान ने अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलने पर ऐसी नाराज़गी दिखाई हो।
मंगलवार को मंदसौर जिले के धमनार से किसान सुरेश धाकड़ नीमच जिले के औषधि मंडी पंहुचा था। प्रदेश की सबसे बड़ी औषधि मंडी का दर्जा हासिल चुकी इस मंडी पर किसान सुरेश धाकड़ को पूरा भरोसा था कि उसकी उपज (तुलसी के डंठल) को सही मूल्य जरूर मिलेग और हुआ भी कुछ ऐसा।
प्रदेश की सबसे बड़ी औषधि मंडी में सुरेश धाकड़ की उपज के ढेर पर व्यापारियों ने बोली लगाई और 490 रुपए क्विंटल आखिरी बोली पर भाव तय हो गया। इस भाव पर किसान भी अपनी उपज देने को तैयार था लेकिन बोली के बाद व्यापारी पलट गया। व्यापारी ने भाव गिराकर400 रूपए क्विंटल में खरीदने की बात रख दी।
दोबारा कम भाव लगाए जाने से नाराज़ किसान इतना आहत हुआ कि उसने आव देखा न ताव और अपनी उपज में अपने ही हाथों से आग लगा दी और देखते ही देखते उपज ने तेज आंच पकड़ ली। हालांकि घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड और पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन तब तक उपज जल चुकी थी।
इस मामले में किसान सुरेश धाकड़ ने मीडिया को बताया कि व्यापारी बोली लगाकर पीछे हट गए। वैसे भी नीमच मंडी में किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है।
इस मामले में मंडी के नाकेदार सतीश शर्मा, जो कि नीलामी करवा रहे थे, उनका कहना था, 'हां, बोली लगी थी पर ऊपर के माल की अलग और नीचे के माल की अलग लेकिन बोली लगाने वाले दोनों व्यापारी चले गए। अभी मैंने नीलामी की पर्ची नहीं काटी थी।'
इस पूरे मामले में कृषि उपज मंडी समिति के डायरेक्टर और किसान नेता उरांव सिंह गुर्जर ने स्वीकार किया कि किसान सुरेश धाकड़ को उसकी उपज का सही मूल्य नहीं मिला। बोली लगाने के बावजूद व्यापारी उस भाव में उपज लेने से पलट गया जबकि किसान की यह उपज, जिसे राम तुलसी कहते हैं, उसका भाव तेजी में करीब 800 रूपए क्विंटल होता है।
आपको बता दें कि किसानों को अपनी उपज का उचित दाम मिले, इसके लिए राज्य शासन कई तरह के जतन कर रहा है। हाल ही में सरकार ने भावांतर भुगतान योजना शुरू की है। योजना के द्वारा सरकार किसानों को समर्थन मूल्य और खरीदी गई फसल की कीमत के अंतर को आंक कर शेष राशि का भुगतान सरकार किसानों को सीधे उनके खाते के माध्यम से करेगी। पर भावांतर भुगतान योजना विसंगतियां की भेंट चढ़ चुका है और किसानों को राहत देने में असफल साबित हो रहा है।