राजधानी दिल्ली में पिछले 43 दिनों से किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। किसानों ने गुरुवार को दिल्ली की सीमाओं और पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च निकाला। किसान पहले यह मार्च बुधवार को ही निकालने वाले थे, लेकिन मौसम को देखते हुए इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। किसानों ने कहा है कि यह 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर आयोजित किए जाने वाले ट्रैक्टर मार्च का पूर्वाभ्यास है। किसानों और सरकार के बीच आठ जनवरी की आठवें दौर की बातचीत होनी है। इससे पहले ट्रैक्टर मार्च निकालकर उन्होंने अपनी ताकत का अहसास भी कराया और विरोध तेज करने की बात कही है।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम किसान मई 2024 तक आंदोलन के लिए तैयार हैं। जब तक सरकार हमारी मांग नहीं मानेगी तब तक हम यहां आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। टिकैत ने आज ट्रैक्टर मार्च के दौरान बताया कि यह 26 जनवरी को होने वाली रैली का रिहर्सल है। सरकार से अगले दौर की बैठक कल होगी। टिकैत के नेतृत्व में किसान यूपी गेट से सुबह करीब 10:00 बजे ट्रैक्टर पर तिरंगा और भाकियू का झंडा लगाकर रवाना हुए। ट्रैक्टर मार्च में कई किसान अपनी गाड़ियों से भी शामिल हुए।
गुरुवार को दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे किसान अपने ट्रैक्टर को लेकर एक्सप्रेस-वे पर पहुंचे। इस दौरान सिंघु बॉर्डर पर किसानों के ट्रैक्टर मार्च को देखते हुए बॉर्डर पर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया। किसानों की ट्रैक्टर रैली के चलते ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया। डासना में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से किसानों की ट्रैक्टर रैली का काफिला गुजरा तो डासना पर कुछ देर जाम की स्थिति रही। हालांकि पुलिस ने जल्द ही रास्ता खुलवा दिया।
किसानों के ट्रैक्टर मार्च को सफल बनाने के लिए केजीपी-केएमपी के पास तीन हजार से अधिक ट्रैक्टर लेकर किसान एकत्रित हुए और मार्च निकाला। युवा किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और कृषि कानूनों और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। दिल्ली के बुराड़ी में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भी ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। बता दें कि किसान विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की अपनी मांग को लेकर दिल्ली से लगी सीमाओं पर 28 नवम्बर से डटे हैं।