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जयपुर में 'जमीन समाधि सत्याग्रह' क्यों कर रहे हैं नींदड़ के किसान, जानें पूरा मामला

जयपुर के नींदड़ गांव के किसानों ने अपनी जमीन को सरकारी अधिग्रहण से बचाने के विरोध किसानों और उनके...
जयपुर में 'जमीन समाधि सत्याग्रह' क्यों कर रहे हैं नींदड़ के किसान, जानें पूरा मामला

जयपुर के नींदड़ गांव के किसानों ने अपनी जमीन को सरकारी अधिग्रहण से बचाने के विरोध किसानों और उनके परिवार वालों ने जमीन में खोदे गए गड्ढों में बैठकर विरोध शुरु किया। किसानों ने इसे जमीन समाधि सत्याग्रह आंदोलन नाम दिया। किसानों ने उसी जमीन पर गड्ढे खोदकर सत्याग्रह शुरु किया जो आवासीय योजना के लिए ली जा रही है।

सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के विरोध में बुधवार को महिलाओं ने भी गड्ढों में बैठकर सत्याग्रह शुरू कर दिया। एक दिन पहले यानी मंगलवार को परिवार के पुरुषों ने अपनी जमीन को लेकर ऐसे ही गड्ढों में बैठकर विरोध किया था। उनका कहना है कि अगर जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (जेडीए) ने अपना फैसला नहीं बदला तो वे आंदोलन जारी रखेंगे।  

आवासीय योजना विकसित करना चाहती है सरकार

दरअसल जेडीए नींदड गांव की 1350 बीघा जमीन पर आवासीय योजना विकसित करना चाहता है। वहीं, इस जमीन पर खेती करने की बात कहते हुए किसान इसका विरोध कर रहे हैं। जमीन का अधिग्रहण रोकने के विरोध में किसानों ने पिछले 14 दिन से अनिश्चितकालीन धरना दे रखा है।

किसान कर रहे जमीन को अधिग्रहण से अलग करने की मांग

आंदोलनकारी जमीन को अधिग्रहण से अलग करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक इस पर फैसला नहीं होता वे सत्याग्रह जारी रखेंगे। आंदोलन खत्म कराने के लिए मंगलवार को मौके पर जिले के तमाम आला अफसर पहुंचे, लेकिन किसानों ने कहा कि वे सिर्फ मंत्री से बात करेंगे।

किसानों ने रखीं मांगें

बढ़ती मुश्किल को देखते हुए जेडीए ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर श्रीचंद कृपलानी से उनकी बात करवाई, जिसके बाद इस पर किसानों ने 4 मांगें रखी हैं।

- जेडीए खेती की जमीन को अधिग्रहण से अलग रखा जाए

- यदि अधिग्रहण करना है तो पहले सर्वे करवाएं, लोगों की राय जानें

- अधिग्रहण मौजूदा नियमों के तहत ही किया जाए

- किसानों को मुआवजा बढ़ाकर दिया जाए

विरोध के दौरान महिला की तबियत बिगड़ी

इस सत्याग्रह के तहत बुधवार को 21 महिलाएं गड्ढों में बैठी हैं। इस दौरान एक महिला की तबीयत भी बिगड़ गई। इससे पहले मंगलवार को भी महिला समेत 6-7 किसानों की तबीयत बिगड़ गई थी।

खेती की जमीन का जबर्दस्ती अधिग्रहण

वहीं, सत्याग्रह कर रहे किसानों और उनके परिवार की महिलाओं का कहना है कि सरकार उनकी खेती की जमीन को जबर्दस्ती ले रही है। खेती नहीं होगी तो उनका गुजारा मुश्किल हो जाएगा। महिलाओं का कहना है कि जेडीए की कई योजनाओं में अभी तक प्लॉट खाली पड़े हैं। 

सरकार को किसानों की कोई फिक्र नहीं

किसानों का आरोप है कि आंदोलन और धरना प्रदर्शन को अंधी और बहरी सरकार ना तो देख पा रही है और ना ही सुन पा रही है। सरकार को किसानों की कोई फिक्र नहीं है। राज्य सरकार किसानों के प्रति संवेदनहीन हो चुकी है और अपना तानाशाही रूप अख्तियार कर निरंकुशता प्रकट कर रही है।

सरकार का निर्णय नहीं बदलने तक जारी रहेगा सत्याग्रह

किसान संघर्ष समिति के संयोजक नगेन्द्र शेखावत का कहना है कि जमीन समाधि सत्याग्रह सरकार का निर्णय नहीं बदलने तक जारी रहेगा। सत्याग्रह के पहले दिन यानी सोमवार को 21 किसानों ने जमीन समाधि ली,यह क्रम निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि किसानों ने विरोध स्वरूप अपने दूध और सब्जी की जयपुर शहर में आपूर्ति बंद कर रखी है।

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