जहां गोरखपुर में अगस्त 10 और 11 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कम से कम 30 बच्चों की मौत हुई थी, वहीं फर्रुखाबाद के अस्पताल में पिछले एक महीने में ऑक्सीजन और दवा की कमी से 49 बच्चों की मौत हो गई है। हालांकि, प्रदेश सरकार ने दोनों ही मामलों में मौत के पीछे ऑक्सीजन की कमी कारण होने से इनकार किया है।
एक महीन में 49 बच्चों की मौत के पीछे अस्पताल में दवाईयों और ऑक्सीजन की कमी को कारण बताने पर डॉ कैलाश ने कहा कि जन्म के दौरान बच्चे के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, ना कि अस्पताल में ऑक्सीजन का कमी है। सात ही, उन्होंने यह भी कहा कि जन्म के दौरान नवजात के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने लगता है, दिमाग में सूजन आ जाती है, जिसके कारण बच्चों की जान गई है।
Delivery ke dauraan bachche ke dimaag mein Oxygen ki kami ho jaati h, na ki hamare hospital mein Oxygen ki kami h: Dr. Kailash, Farrukhabad pic.twitter.com/E0U89uBjj7
— ANI UP (@ANINewsUP) September 4, 2017
Dimaag mein Oxygen ki kami ki wajah se birth asphyxia ban jaata hai, dimaag mein sujan aa jaati hai, uss bimaari se mare hain: Dr. Kailash pic.twitter.com/9Ex31UO224
— ANI UP (@ANINewsUP) September 4, 2017
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक महीने के दौरान 49 बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी (DM), मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) और जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) का तबादला कर दिया है।
इसके अलावा, इस मामले में शासन स्तर से एक उच्चस्तरीय टीम भेजकर घटना की तथ्यात्मक एवं तकनीकी छानबीन भी कराई जाएगी। प्रदेश शासन के प्रवक्ता ने जनपद फर्रूखाबाद में नवजात शिशुओं की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करते हुए जिम्मेदार कार्मिकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने लखनऊ में कहा कि अस्पताल में 49 मौतें हुईं, इनमें से 30 नवजात की मौत आईसीयू में जबकि 19 बच्चों की मौत प्रसव के दौरान हुई। यह घटना 20 जुलाई से 21 अगस्त, 2017 के बीच जिला महिला चिकित्सालय फर्रूखाबाद में हुआ।
जिला प्रशासन की रिपोर्ट में जांच में ऑक्सीजन की कमी और इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में रविवार रात शहर कोतवाली में नगर मजिस्ट्रेट जयनेंद्र कुमार जैन की तहरीर पर सीएमओ, सीएमएस और अन्य के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि मृतकों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय टीम को फर्रुखाबाद के डॉ. राम मनोहर लोहिया राजकीय संयुक्त चिकित्सालय भेजा जाएगा और इसके तकनीकी पहलुओं का भी ध्यान रखा जाएगा। साथ ही, उन्होंने बताया कि इस मामले के बाद डीएम, सीएमओ और सीएमएस (महिला अस्पताल) को हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान अस्पताल के महिला विंग में 468 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 19 बच्चे स्टिल-बोर्न (जन्म के समय ही मृत्यु हो जाना) थे। मीडिया में खबर आने के बाद जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी उमाकांत पांडेय की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच कराई। समिति के निष्कर्षों से संतुष्ट न होने के बाद जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रेट जांच कराई थी, जिसके आधार पर आरोपी चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
इस मामले में मामला दर्ज कराने वाले नगर मजिस्ट्रेट जयनेंद्र जैन की शिकायत के मुताबिक, सीएमओ और सीएमएस की ओर से दी गई 30 मृत बच्चों की लिस्ट में से ज्यादातर की मौत का कारण 'पैरीनेटल एस्फिक्सिया ' बताया गया है। हालांकि, इन बच्चों के परिजनों ने जांच अधिकारी को फोन पर बताया था कि डॉक्टरों ने नवजातों को समय पर ऑक्सीजन नहीं लगाई और न ही कोई दवा दी थी। इससे साफ है कि अधिकतर शिशुओं की मौत पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई।
प्रवक्ता के अनुसार स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि पैरीनेटल एस्फिक्सिया के कई कारण हो सकते हैं। सही कारण तकनीकी जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। शासन स्तर से टीम भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।
इस बीच, डीएम रविंद्र कुमार के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट जयनेन्द्र कुमार जैन और उप-जिलाधिकारी (सदर) अजीत कुमार सिंह ने मौके पर जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी की। जांच में पाया गया कि ऑक्सीजन न मिल पाने और इलाज में लापरवाही के कारण बच्चों की मौत हुई थी।
नगर मजिस्ट्रेट ने शहर कोतवाली में दी गई तहरीर में कहा कि जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के एनआईसीयू में पिछले छह महीने में भर्ती हुए शिशुओं में से मृत बच्चों की पूरी जानकारी देने के निर्देश दिए थे, लेकिन सीएमओ और सीएमएस ने आदेशों की अवहेलना करते हुए पूरी जानकारी नहीं दी।
उल्लेखनीय है कि गत माह अगस्त में गोरखपुर के बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत से यूपी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।