खुद की सुरक्षा और यातायात नियमों की सख्ती के कारण दो पहिया वाहन चलाने वालों के लिए हेलमेट अनिवार्य है। मगर यही हेलमेट गर्मी, ठंड और कोरोना काल में परेशानी का सबब बन जाता है। गर्मी में हेलमेट भीतर का तापमान बढ़ा देता है तो जाड़े में मुंह-नाक से निकलने वाला वाष्प शीशे पर जमकर विजन को धुंधला कर देता है।
कोरोना काल में भी जब मास्क के साथ हेलमेट पहनते हैं तो चश्मा हो या हेलमेट का फ्रंट का बंद शीशा वाष्प के कारण धुंधला दिखने लगता है। जल्द ही इस परेशानी से आप को मुक्ति मिल जायेगी। बीआइटी (बिड़ला इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) मेसरा, रांची की टीम ने एसी हेलमेट की तकनीक इजाद की है। ऐसा हेलमेट तैयार किया है। तापमान नियंत्रित रहेगा तो उपरोक्त समस्या पैदा नहीं होगी।
इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर सह निदेशक यूनिवर्सिटी पॉलीटेक्निक, बीआइटी मेसरा एसएस सोलंकी के अनुसार गर्मी में हेलमेट का तापमान 18 डिग्री तक किया जा सकता है। इसी तरह जाड़े में भी इसे नियंत्रित किया ज सकता है। यह सामान्य तकनीक से इतर थर्मो इलेक्ट्रिक आधारित है। हमारी टीम ने तकनीक इजाद कर लिया है। करीब एक साल पहले ही प्रारंभिक स्तर पर इसे तैयार कर लिया गया। नमूने के रूप में इसका यहां के छात्र इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
सरकारी स्तर पर औपचारिक प्रक्रिया शेष है। परिवहन विभाग से बात चल रही है। कोरोना के कारण थोड़ा विलंब हुआ है। सरकार से फंडिंग होने पर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में और सहूलियत होगी। व्यावसायिक उत्पादन के लिए कंपनियों से बात की जानी है। अभी बाजार में उपलब्ध हेलमेट में ही मामूली परिवर्तन कर हम इस्तेमाल के लायक बना रहे हैं।
हेलमेट की कीमत भी सामान्य हेलमेट की तरह सात सौ से हजार रुपये के बीच होगी। वजन भी ज्यादा नहीं होगा। हां, सिस्टम काम करता रहे इसके लिए इसे चार्ज करना पड़ेगा।