झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्हें विधानसभा के बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।
सोरेन ने झारखंड उच्च न्यायालय से बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी थी जो 23 फरवरी को शुरू हुआ और 2 मार्च को समाप्त हुआ। 28 फरवरी को उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
जब उनकी याचिका सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि बजट सत्र 2 मार्च को समाप्त हो गया है।
सिब्बल ने कहा, ''मैं इसे वापस लेना चाहता हूं।'' उन्होंने कहा कि याचिका में उठाए गए कानून के सवाल को खुला रखा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा कि कानून का प्रश्न खुला छोड़ दिया गया है। सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
रांची की एक विशेष अदालत ने 22 फरवरी को सोरेन को विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय ने पहले सत्तारूढ़ झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को पांच फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत में भाग लेने की अनुमति दी थी।
झामुमो नेता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप कुछ अचल संपत्तियों के कथित अवैध कब्जे और 'भूमि माफिया' के सदस्यों के साथ उनके कथित संबंधों से संबंधित हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, यह जांच झारखंड में "माफियाओं द्वारा भूमि के स्वामित्व को अवैध रूप से बदलने के एक बड़े रैकेट" से जुड़ी है।
ईडी ने इस मामले में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 2011 बैच के आईएएस अधिकारी छवि रंजन भी शामिल हैं, जो राज्य के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे।
एजेंसी कथित तौर पर "करोड़ों मूल्य की जमीन के विशाल पार्सल हासिल करने के लिए जाली/फर्जी दस्तावेजों की आड़ में डमी विक्रेताओं और खरीदारों को दिखाकर आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करके अपराध की भारी मात्रा में कमाई" की जांच कर रही है।