तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै में चार लोगों की मौत सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान हो गई। इसके बाद कल(19 जनवरी, 2016) दिन भर इस बात पर बहस होती रही कि इन मौतों के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए। एफआईआर और पोस्टमार्टम करने में पूरा दिन लग गया। बहुत दबाव के बाद पुलस हरकत में आई। मृतकों के परिजनों का आरोप है कि कई घंटों तक लाशें ऐसे ही पड़ी रहीं। देर रात तक इस होटल में काम करने वाले तीन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
सेप्टिक टैंक में मारे गए लोगों का नाम है-राजेश(25 वर्षीय), के. कुमार (48 वर्षीय), के. सरवनन (26 वर्षीय) और वेलमुरगन (28 वर्षीय)। वे कन्नगी इलाके के रहने वाले थे। विजी नाम का एक व्यक्ति जो इन्हें बचाने के लिए उतरा था, वह बच गया और अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। इसी बीच इस पूरे मसले में तमिलनाडु सरकार की आलोचना हो रही है। दलित संगठनों का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश और 2013 के नए कानून के मुताबिक मारे गए लोगों के परिजनों की मदद करने और उन्हें सेप्टिक टैंक में उतारने वालों के खिलाफ तुरंत कार्यवाई के कानूनी प्रावधानों का राज्य सरकार पालन नहीं कर रही है। तमिलनाडु सरकार ने इन मौतों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हर मृतक के परिजन को 10 लाख रुपये मुआवजा देने से यह कहकर इनकार किया है कि ये निजी तौर पर गैर सरकारी संस्था के लिए सफाई का काम कर रहे थे। गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने इसी 15 जनवरी को एक सरकारी आदेश (जीओ) जारी किया है जो निजी तौर पर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान हुई मौतों की जिम्मेदारी से सरकार को मुक्त करता है और उन्हें नियुक्त करने वाले व्यक्ति या संस्था को इसके लिए जिम्मेदार बनाता है। इसी जीओ का सहारा लेकर मारे गए इन तीनों के परिजनों को मुआवजा न देने की बात कही जा रही है।
इसे लेकर दलित संगठनों में गहरा आक्रोश है। सीवर में हो रही मौतों को रोकने के लिए देशव्यापी भीम यात्रा निकाल रहे संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन की दीप्ति सुकुमार ने आउटलुक को बताया कि तमिलनाडु सरकार इन मौतों के साथ खिलवाड़ कर रही है, ये सरासर अपमान है। तमिलनाडु सरकार का यह काम सरासर गैर-कानूनी है और इसके खिलाफ आंदोलन संघर्ष करेगा। जब देश की सबसे बड़ी अदालत दो क शब्दों में कह चुकी है कि 1993 के बाद से होने वाली तमाम सीवर-सेप्टिक टैंक मौतों में हर मृतक परिवार को सरकार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा, तो फिर तमिलनाडु सरकार ऐसा जीओ कैसे ला सकती है। दीप्ति ने बताया कि अभी 13 जनवरी को भीम यात्रा चेन्नै में पहुंची थी और वहां जिला प्रशासन को इन सीवर मौतों को रोकने के लिए चेतावनी दी गई थी। अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ-साथ नए कानून की प्रतियां सौंपकर उन्हें इनसानों को सीवर-सेप्टिक टैंक में उतरने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा गया था।
दलित नेता सेमल वेलेंगनी का कहना है कि ऐसी मौतों पर शोक व्यक्त करने और ऐसी घटना को दोबारा न होने की बात कहने के बजाय, सरकार मृतक के परिजनों को और कष्ट देने का काम कर रही है। इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाने की जरूरत है। गौरतलब है कि देश में मेनहोल औऱ सेप्टिक टैंक में होने वाली कुल मौतों में से 20 फीसदी तमिलनाडु में होती है।
केरल सेप्टिक टैंक में दम घुटने से तीन की मौत
इसी बीच केरल के कन्नूर इलाके से भी तीन लोगों की सीवर की सफाई के दौरान मौत होने की खबर आई है। पूरे देश में मेनहोल, सीवर और सेप्टिक टौक की इंसानों को उतार कर सफाई कराना (बिना किसी सुरक्षा कवर के) प्रतिबंधित है। वर्ष 2013 में संसद द्वारा बनाए गए नए कानून और 2014 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश इसे साफ शब्दों में गैर-कानूनी करार देता है। लेकिन फिर भी पूरे देश में इनसानों का जान को जोखिम में उतरकर सफाई करना जारी है। मौत होने के बाद मुआवजा, एफआईआर और अनुसूचित जाति उत्पीड़न निरोधक कानून तथा मैला प्रथा निषेध कानून के तहत मामला दर्ज कराना भी बेहद मुश्किल बना हुआ है।