न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, राज्यपाल अपनी मर्जी से विधानसभा का सत्र नहीं बुला सकते। अरूणाचल प्रदेश में वैसा मौका नहीं आया था जिसके बारे में हम शुरूआत से ही कह रहे हैं। वहां वैसे हालात नहीं थे। अदालत ने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को हटाए जाने के बाद सदन की कार्यवाही का प्रभार उपाध्यक्ष के हाथ में होने के दौरान अगर विधानसभा में तुकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
अदालत ने यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी की दलीलों को सुनने के दौरान की। वह कांग्रेस के कुछ बागी विधायकों की तरफ से पेश हुए थे। उन्होंने अपने रुख को दोहराया कि राज्यपाल के मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना अपनी मर्जी से विधानसभा का सत्र बुलाने पर रोक नहीं है। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल के पास विशेषाधिकार है।
अदालत संविधान के तहत राज्यपाल की कुछ शक्तियों पर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। अदालत कल भी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।