इस मामले को वाम मोर्चा और भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के खिलाफ एक मुद्दा बनाया था, संसद में इसका जिक्र हुआ था, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और मंत्रालय ने इस पर चिंता व्यक्त की, मंत्रियों का दौरा हुआ, राज्य-भर में और दिल्ली में भी इसके विरोध में प्रदर्शन हुए। पुलिस को भी दोषी ठहराया गया था। यह भी आरोप लगाया गया कि मामले में ऱाजनीतिक हस्तक्षेप हुआ है और मतदान के ठीक पहले अपराधी पकडा जाएगा ।
इस मामले में हत्यारे द्वारा युवती की पीठ पर दांतों से काटा गया था और इस से उसके कपडों पर हत्यारे की लार के निशान लगे थे। पुलिस ने तिरुवनंतपुरम के राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में इस कपडे की जांच कराई और इससे अपराधी के डीएनए की पहचान हो गई है। इस से पुलिस को फिलहाल तो अपराधी को पकड़ने के लिए फिर से दौड़भाग करनी पडेगी, लेकिन अब उसे सबूत के लिए भटकना नहीं पडेगा। इसके साथ ही इस मामले में जितने लोगों को संदिग्ध के रूप में पकड़ा गया है उनमें से निर्दोंषों को छोड़ा जा सकेगा। इस बीच संबंधित युवती के एक रिश्तेदार ने यह आरोप लगाया है कि पुलिस उन्हें युवती की मां या बहन से मिलने नहीं दे रही। इस रिश्तेदार का आरोप है कि पुलिस कुछ छिपा रही है।