विधायक जिग्नेश मेवाणी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में दो मामलों में असम पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया था, तो वहीं अब गुजरात की एक अदालत ने जिग्नेश और 9 अन्य को तीन महीने के कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने सभी 10 दोषियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। ये मामला 2017 का है, उस वक्त सभी आरोपियों पर बिना इजाजत रैली करने का आरोप लगा था। ये फैसला गुजरात के मेहसाणा की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सुनाया है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे ए परमार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के तहत मेवानी और राकांपा की पदाधिकारी रेशमा पटेल और मेवाणी के राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के कुछ सदस्यों सहित नौ अन्य को गैरकानूनी सभा का हिस्सा होने का दोषी ठहराया है। अदालत ने सभी 10 दोषियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
जानकारी के मुताबिक, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे ए परमार की अदालत ने इस संबंध में फैसला देते हुए कहा कि रैली करना अपराध नहीं है। लेकिन बिना अनुमति के रैली करना अपराध है। अदालत ने यह भी कहा कि "अवज्ञा को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
मेहसाणा 'ए' डिवीजन पुलिस ने जुलाई 2017 में बिना अनुमति के बनासकांठा जिले के मेहसाणा से धनेरा तक 'आजादी मार्च' निकालने के लिए मेवाणी और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 143 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। एफआईआर में नामजद कुल 12 आरोपियों में से एक की मौत हो चुकी है, जबकि एक अभी भी फरार है