गौरतलब है कि सरपंचों का कार्यकाल 25 जुलाई- 15 को खत्म हो चुका है। चुनाव से ठीक पहले 11 अगस्त को हरियाणा सरकार ने पंचायती राज कानून में संशोधन किया था। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए चार शर्तें रखी गईं थी लेकिन एक जनहित याचिका के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई थी। सात सितंबर को सरकार ने पंचायती राज संशोधन विधेयक-2015 विधानसभा में पारित किया।
सरकार की शर्तें
- पंचायत चुनाव लड़ने के लिए सामान्य श्रेणी के लिए दसवीं और महिलाओं तथा अनुसूचित जाति के पुरुषों के लिए आठवीं पास होना जरुरी है।
- पंच पद के लिए अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए शैक्षणिक योग्यता 5वीं पास रहेगी।
- बिजली का बिल भरना और सहकारी बैंक का कर्ज चुकाना जरुरी हो गया है।
- घर में शौचालय होने का प्रमाणपत्र देना होगा।
- जघन्य अपराध में चार्जशीट होने पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
- दस सितंबर को हिसार की वेदवंती ने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में शैक्षणिक योग्यता पर याचिका दाखिल की थी।
तारीख दर तारीख
- 14 सितंबर को उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचायत प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
- 17 सितंबर को वामपंथी नेता जगमती सांगवान की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा पंचायती राज संशोधन कानून-2015 पर रोक लगाई।
- पुराने नियम फिर से लागू हुए, अशिक्षित योग्य हुए।
-पुराने नियम लागू होते ही उम्मीदवारों की संख्या बढ़ गई, स्क्रूटनी के दिन चुनाव रद्द
- नामांकन के अंतिम दिन 19 सितंबर को 29603 पदों के लिए 94128 उम्मीदवारों ने नामांकन किया।
- 22 सितंबर को स्क्रूटनी के दिन चुनाव रद्द।
- चार अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव होना था। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में कई तर्क रखे।
- अदालत ने सरकार की एक नहीं सुनी और सात अक्टूबर को सुनवाई की तारीख दी।
- सात अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय में दिनभर सुनवाई हुई।
- आठ अक्टूबर को फिर सुनवाई हुई, अदालत ने 13 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तारीख दी।
- 13 अक्टूबर से तीन दिन तक सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई और अदालत ने 27 अक्टूबर को अगली तारीख सुनाई।
- 27 और 28 अक्टूबर को हुई सुनवाई। सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा और दोनों पक्षों को बात रखने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।