कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि हाइकोर्ट के आदेश के चलते वह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में सरकार द्वारा भोपाल में आवंटित बंगला खाली कर रहे हैं। 19 जून को चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एके श्रीवास्तव की बेंच ने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों उम भारती, कैलाश जोशी, बाबू लाल गौर और दिग्विजय सिंह को एक महीने में बंगला खाली करने का आदेश दिया था।
दिग्विजय सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआइ से सोमवार को फोन पर कहा कि कोर्ट के फैसले के चलते मैंने सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित सरकारी बंगला खाली करने का निर्णय लिया है। अदालत के निर्णय का सबको पालन करना चाहिए।
प्रदेश सरकार से इसी बंगले के पुन: आवंटन के लिए आवेदन नहीं करने के सवाल पर सिंह ने कहाकि मैंने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर मेरे आधिकारिक स्टाफ के लिए स्थान आवंटित करने के लिए कहा है। कोर्ट के आदेश पर क्या आप अन्य मुख्यमंत्रियों से भी उन्हें आवंटित बंगले खाली करने की अपेक्षा करते हैं, के सवाल पर सिंह ने कहा कि मेरी किसी से कोई अपेक्षा नहीं है।
सिंह के करीबी व्यक्ति ने बताया कि रविवार से बंगला खाली करने का काम शुरू हो चुका है और उनकी (दिग्विजय) व्यक्तिगत चीजें उनके पैतृक निवास गुना जिले के राधौगढ़ में भेजी गई हैं। सिंह, राधौगढ़ रियासत के पूर्व शासकों के वंश से हैं। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें आधिकारिक तौर पर 14 कर्मचारियों का स्टाफ दिया गया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विशेषाधिकार के तहत नए आदेश जारी कर भाजपा के तीनों पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, उमा भारती और बाबूलाल गौर को बंगले खाली करने से पहले ही पुनः वही बंगले नई श्रेणी में आवंटित कर दिए लेकिन दिग्विजय को बंगला आवंटन नहीं किया गया।
दिग्विजय सिंह द्वारा बंगला खाली किए जाने के बारे में राज्य में मंत्री और कैबिनेट के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्र ने कहा कि वह अभी भोपाल से बाहर हैं। इसकी वजह से उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।