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नाबालिग पीड़िता के हिरासत पर पुलिस से हाईकोर्ट के तीखे सवाल

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने शनिवार को राज्य पुलिस से पूछा कि उसने किस कानून के तहत उस नाबालिग लड़की को हिरासत में लिया जिसका गत मंगलवार को कथित रूप से एक सैनिक ने हंदवाड़ा में यौन उत्पीड़न किया था। इस घटना की वजह से शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में पांच लोग मारे गए हैं।
नाबालिग पीड़िता के हिरासत पर पुलिस से हाईकोर्ट के तीखे सवाल

16 साल की लड़की की मां ताज बेगम ने आज उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपनी बेटी और दो दूसरे परिजनों की पुलिस की अवैध हिरासत से रिहाई की मांग की। ताज के वकील परवेज इमरोज ने यह जानकारी दी। इमरोज ने कहा कि न्यायमूर्ति एम एच अतर ने राज्य को नोटिस जारी करने के अलावा हंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक और संबंधित पुलिस थाने को निर्देश दिया कि वे अदालत को बताएं कि उन्होंने किस कानून के तहत नाबालिग लड़की, उसके पिता और उसकी मौसी को 12 अप्रैल की घटना के बाद से हिरासत में रखा हुआ है।

उन्होंने कहा कि अदालत ने पुलिस को लड़की को बयान दर्ज कराने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का भी निर्देश दिया। इमरोज ने कहा, ‘अदालत ने यह भी कहा कि लड़की के पिता और उसकी मौसी को प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सामने पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख तय की गई है।

ताज बेगम ने इमरोज के माध्यम से दायर की गई अपनी याचिका में दलील दी कि उसकी बेटी, पति और बहन को संविधान की धारा 21 के तहत सुनिश्चित किए गए सांवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए अवैध हिरासत में रखा गया है। वकील ने अदालत से यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी नाबालिग बेटी, पति और बहन की जान खतरे में होने की आशंका है। मंगलवार को हंदवारा में एक जवान द्वारा लड़की से कथित छेड़छाड़ के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई।

घटना के अगले दिन विरोध प्रदर्शन के दौरान कुपवाड़ा के नाथनुसा इलाके में इस तरह के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक और व्यक्ति की मौत हो गई। लड़की ने हालांकि अपने यौन उत्पीड़न की बात से इनकार किया। सेना ने इसे लेकर उसके बयान का एक कथित वीडियो जारी किया है। हालांकि लड़की की मां ने आज दावा किया कि वीडियो में बयान देने के लिए उसकी बेटी पर दबाव डाला गया।

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