देहरादून। चारधाम यात्रा देश और दुनिया के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है तो वहीं पहाड़ की आर्थिकी का इससे सीधा वास्ता है। इसके बाद भी सरकार इस यात्रा को चालू कराने में सही वक्त पर सही फैसला लेने में विफल रही है। अब नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है लेकिन श्रद्धालु कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। जिनको कोविड टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं, उनको वेक्सीनेशन सर्टिफिकेट लाना होगा।
मई माह में कपाट खुलने के साथ ही यात्रा की शुरुआत होती है। पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से यात्रा का स्थगित कर दिया गया था। इस बार लोगों को यात्रा सीजन समय पर शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही से यात्रा शुरू नहीं हो सकी। शुरुआती दौर में ही नैनीताल हाईकोर्ट से सरकार से कहा कि कोरोना महामारी से बचाव और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर एक शपथपत्र पेश करे। बार-बार समय देने के बाद भी जब सरकार अपने शपथपत्र से हाईकोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सकी तो यात्रा पर चार सप्ताह की रोक लगा दी गई।
सरकार से यहां फिर चूक हुई। व्यवस्थाओं को दुरुस्त करके सरकार हाईकोर्ट से रोक पर फिर से विचार का आग्रह कर सकती थी। लेकिन सरकार ने ऐसा करने की बजाए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। सरकारी तंत्र और सरकारी वकीलों की फौज यहां भी फेल साबित हुई। आठ सप्ताह यानि दो माह तक सरकार की अपील पर सुनवाई ही नहीं हो सकी। यात्रा सीजन खत्म होता देख लोगों में बढ़ते आक्रोश बढ़ने लगा। इसके बाद सरकार पहले हाईकोर्ट से यात्रा पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई। हाईकोर्ट से साफ कर दिया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। लिहाजा वह सुनवाई नहीं कर सकता।
इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ली और फिर से हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गई है। इस बीच कांग्रेस ने इसे सियासी मुद्दा बना दिया और हाईकोर्ट में अपनी ओर से भी वकील को खड़ा कर दिया। ताकि चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटवाया जा सके। इस पर आज 16 सितंबर को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपनी रोक हटा दी है।
अब चारधाम यात्रा सीजन में बहुत कम वक्त बचा है। सवाल यह है कि अगर हाईकोर्ट अपनी रोक हटा भी दी है तो क्या सरकार की तमाम व्यवस्थाएं मुक्ममल हैं। बारिश की वजह से ऑलवेदर रोड बुरे हाल में हैं। यात्रा सीजन में कमाई करके सर्दियों के मौसम में इसी से छह माह तक रोटी खाने वाले परिवार भी परेशान हैं।