शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक बड़ी राहत देते हुए अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। हालांकि अदालत ने साबीआई को मामले की जांच जारी रखने की इजाजत दी है। पिछले सप्ताह सीबीआई की ओर से अपने पर दर्ज प्राथमिकी के खिलाफ वीरभद्र सिंह की याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की पीठ ने सीबीआई को इस दंपति से पूछताछ से पहले अदालत को सूचित करने का भी निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।
कांग्रेस नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बुधवार को अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने बदले की भावना और दुर्भावना से प्रेरित होकर उनके निजी आवास होली लॉज और अन्य जगहों पर छापे मारे।सिंह ने याचिका में सीबीआई पर अपने अधिकार क्षेत्र को नजरंदाज करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि किस तरह सीबीआई उनके परिसरों पर छापे मार सकती है जब मामला पहले से ही दिल्ली उच्च न्यायालय और आयकर न्यायाधिकरण तथा अन्य आयकर प्राधिकार में लंबित है। सीबीआई की पूरी जांच प्रक्रिया और अपने तथा पत्नी प्रतिभा सिंह के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने की मांग करते हुए सिंह ने दलील दी कि वर्तमान मुख्यमंत्री के निवास पर छापे से पहले राज्य सरकार और गृह विभाग की अनुमति भी नहीं ली गई, जो कि नियम के विरुद्ध है। अदालत में विरभद्र सिंह का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने रखा।
वीरभद्र ने अदालत से अपने तथा अपनी पत्नी के खिलाफ सीबीआई द्वारा 23 सितंबर को नई दिल्ली में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (दो) और 13 (एक)(ई) तथा आईपीसी की धारा 109 के तहत दर्ज प्राथमिकी खारिज करने और इस मामले की प्राथमिक जांच और एफआईआर के रिकार्ड तलब करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा है कि किसी भी अदालत का न तो कोई फैसला है न कोई निर्देश या कोई आदेश है जिससे कि सीबीआई को हिमाचल प्रदेश क्षेत्र में नियमित मामले दर्ज करने या जांच का अधिकार हो। उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि दिल्ली क्षेत्र में भी यह नहीं हो सकता।
सुनवाई पूरी होने के बाद मुख्यमंत्री ने अदालत के बाहर कहा कि मेरे विरुद्ध यह मामला राजनीति से प्रेरित है। सुनवाई के दौरान वह अदालत में उपस्थित नहीं थे।