झारखंड में महिलाओं और बाल पोषण को लेकर सुधार देखा गया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित 2019-21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) में पोषण को लेकर सुधार की बात सामने आई है। उदाहरण के लिए साल 2015-16 में जहां 62.6 फीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिक थीं, वहीं 2019-21 में यह घटकर 56.8 फीसदी रह गई। इसी तरह साल 2015-16 में 45.3 प्रतिशत बच्चे अविकसित थे जो 2019-21 में 39.6 प्रतिशत हो गए।
एनएफएचएस-5 के तहत विभिन्न मानकों में सुधार के बावजूद अभी बहुत कुछ अपेक्षित है। प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार ने 29 दिसंबर, 2021 को एक प्रमुख पहल की, जिसका नाम था एसएएएमएआर (SAAMAR), झारखंड सरकार ने राज्य में बच्चों और महिलाओं में कुपोषण से निपटने के लिए SAAMAR (स्ट्रेटेजिक एक्शन फॉर एलेविएशन ऑफ मालन्यूट्रीशन एंड एनीमिया रिडक्शन या (अनिमिया और कुपोषण के उन्मूलन के लिए रणनीतिक कार्रवाई)) अभियान शुरू किया। यह अभियान विभिन्न विभागों को एक साथ लाएगा, ताकि एनेमिक महिलाओं और कुपोषित बच्चों की पहचान की जा सके, ताकि कुपोषण जोकि एक बड़ी समस्या है, से निजात दिलाया जा सके।
इस अभियान के तहत, राज्य सरकार ने शुरू में परियोजना के पायलट चरण के लिए चतरा, लातेहार, साहेबगंज, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम नामक पांच जिलों की पहचान की। ये आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं और इस क्षेत्र में कुपोषण जैसे बौनेपन, कम वजन की स्थिति, एनीमिया, नवजात मृत्यु दर आदि, महिलाओं और बच्चों में काफी अधिक होने के साथ पोषण संकेतकों में इनका स्थान काफी कम है।
राज्य सरकार ने इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सभी संबंधित विभागों को सहयोगात्मक तरीके से लगाया है। इन विभागों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, ग्रामीण विकास या महिला एवं बाल विकास विभाग शामिल हैं, जो झारखंड की पोषण स्थिति में सुधार के लिए काम कर रहे हैं।
इस अभियान के तहत सामुदायिक नेता, स्कूल, गांव के लोग और अन्य संबंधित निकाय स्वस्थ जीवन के लिए पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
पोषण दल (आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (AWW), मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को ऐप-आधारित डेटा संग्रह टूल जैसे टैबलेट और एंड्रॉइड फोन का उपयोग करके कुपोषित बच्चों और एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की पहचान के लिए डेटा एकत्र करने के लिए टीम बनाई गई है। जहां कुपोषण उपचार केंद्र गंभीरता और तीव्रता से कुपोषण से पीड़ित बच्चों की देखभाल करता है, वहीं स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को पोषण संबंधी सलाह और सहायता प्रदान करते हैं।
जागरूकता पैदा करने के लिए सरकार, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) का अधिकतम लाभ उठा रही है। ग्राम स्तर पर पोषण नेतृत्व की आवश्यकता को महसूस करते हुए राज्य सरकार ने पोषण में सुधार के लिए अन्य लोगों के साथ-साथ गांवों और पंचायतों के प्रमुखों को नियुक्त किया है।
कुपोषण से पीड़ित परिवारों को आगे सामाजिक सुरक्षा उपायों, खाद्य सुरक्षा उपायों और परिवारों की आय में सुधार के लिए नरेगा/अन्य आजीविका विकल्पों से जोड़ा जाएगा। इसे एक जीवन-चक्र दृष्टिकोण के माध्यम से लागू किया जाएगा जिसमें सभी गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, 6 महीने से 10 साल के बच्चों, 10 से 18 साल की किशोरियों और 18 से 35 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की अन्य महिलाओं को भी लक्षित किया जाएगा।
इस अभियान की अनूठी पहलों में से एक आम जनता के साथ-साथ आदिवासी महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करना है। चूंकि आदिवासी आबादी का भोजन और पोषण संबंधी आदतों पर कोई शोध-आधारित जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसलिए एसएएएमएआर (SAAMAR)योजना ने पहली बार इस मुद्दे को भी हल करने का प्रयास किया है।
इस संबंध में एक डैशबोर्ड तैयार किया जाएगा, जो व्यक्तिगत लाभार्थियों और उनकी पोषण संबंधी स्थिति पर नजर रखने में सक्षम होगा और इस प्रकार पोषण की समग्र और व्यापक तस्वीर बनाने में मदद करेगा।
यह प्रणाली संकट के लक्षण दिखाने वाले व्यक्तियों या परिवारों की पहचान करके एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) के रूप में भी काम करेगी, जो दो उपायों से जुड़े होंगे पहला सामाजिक सुरक्षा उपाय और दूसरा खाद्य सुरक्षा उपाय।
बता दें कि बजट आवंटन के मामले में सामाजिक कल्याण और पोषण तीसरा सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है क्योंकि राज्य सरकार ने वर्ष 2021-2022 में 6624 करोड़ आवंटित किए हैं। यह पिछले साल के 6357 करोड़ के बजट से 4 फीसदी अधिक है।
महिला पोषण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ राज्य सरकार का लक्ष्य सामाजिक विकास के मूल मुद्दे को संबोधित करना है जो लंबे समय में एक समृद्ध और स्वस्थ समाज का मार्ग प्रशस्त करेगा।