झारखण्ड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी पर दुष्कर्म के आरोप में केस दर्ज होने के बाद राजनीति तेज हो गई है। बाबूलाल मरांडी ने इसे साजिश बताते हुए सीबीआई या सिटिंग जज से जांच की मांग की है। वहीं झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अपने मामले में बाबूलाल तुरंत जज बन जाते हैं।
बीते सोमवार 16 अगस्त को खूंटी की रहने वाली एक युवती के बयान पर रांची के अरगोड़ा थाना में सुनील तिवारी के खिलाफ दुष्कर्म और एसएसी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। मंगलवार को पुलिस पीड़िता को अदालत लेकर पहुंची और 164 के तहत उसका बयान दर्ज कराया। आवेदन में युवती ने लिखा कि वह सुनील तिवारी के घर काम करती थी। तिवारी पर उसने दुष्कर्म करने, पुन: छेड़छाड़ करने, प्रलोभन देने और हत्या की धमकी देने का आरोप लगाया है। पुलिस इस मामले में जानकारी देने से परहेज करती रही। सोशल मीडिया में खबर वायरल होने के बाद बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि तिवारी पर दुष्कर्म के मुकदमे के पीछे एक बड़ा षड्यंत्र है। एक बड़े मामले को दबाने की कोशिश है जिसमें खुद मुख्यमंत्री आरोपी हैं और सुनील तिवारी इसमें इंटरवेनर हैं। इंटरवेनर बनने के बाद सुनील तिवारी को कई तरह से डराने, धमकाने की कोशिश की गई। किसने और कब धमकाया, समय आने पर इसका खुलासा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस सरकार का टूल बनकर काम कर रही है। जिस लड़की ने सुनील तिवारी पर आरोप लगाया है वह एक वर्ष पूर्व उनके यहां काम करती थी। आश्चर्य है कि इतने बड़े मामले को एक साल तक दवाकर रखा। न पुलिस को बताया न परिजन को। दूसरी तरफ एक लड़की जो तिवारी के यहां रहकर पढ़ती थी 15 अगस्त को अनगड़ा पुलिस उठाकर ले जाती है। साथ में छह और चार वर्ष के बच्चों को भी ले जाती है। रात के एक बजे थाना में प्रताड़ित करती है। तीन बजे कहीं गुप्त स्थान पर ले जाती है और 16 अगस्त को बच्ची को बाल सुधार गृह लाया जाता है। क्या बच्ची अनाथ थी, लावारिस मिली थी या रेस्क्यू में छुड़ाया गया था। यदि नहीं तो पुलिस ऐसा असंवैधानिक कार्रवाई क्यों कर रही। घटना की जानकारी मिलते ही डीजी से लेकर थाना प्रभारी तक को फोन पर बात की मगर कहीं से संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। उन्होंने पूरे मामले की सीबीआई या सिटिंग जज से जांच की मांग की है।
इधर झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने राजनीति छोड़ वकालत शुरू कर दी है। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा से संबंधित लोगों के कुकृत्व की वकालत करने लगे हैं। अपने राजनीतिक सलाहकार जो पार्टी का सदस्य भी नहीं है के लिए पार्टी का झंडा लेकर बाबूलाल बयान देते है। यह अनुचित है। पुलिस को लगातार धमकी देते हैं कि हमारी सत्ता आते ही कार्रवाई की जायेगी। उनके काम में बाधा डाला जाता है। आदिवासी लड़कियों के शोषण के मामले में बाबूलाल को ईमानदारी से बयान देना चाहिए। ऐसे अनैतिक काम को रोकने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त अधिकार हैं। सुप्रियो ने उनके बयान की कड़ी निंदा करते हुए पुलिस पर उठाये उंगली को लेकर सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगने का अनुरोध किया है। कहा कि शिकायत मिलने के बाद बच्ची की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। उसी के तहत पुलिस ने कार्रवाई की। उनके मित्र को कोई धमकी दे रहा तो प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराते। अगर डर लगता है तो बताएं, झामुमो, राज्य पुलिस सुरक्षा देगी। हेमन्त सोरेन से जुड़ा मामला सब मनगढ़ंत है।