बोर्ड-निगम, आयोग, बीस सूत्री समिति के खाली पदों को जल्द भरने की खबर से हेमन्त सरकार में शामिल राजद रेस है। सरकार बने डेढ़ साल हो गये हैं मगर गठबंधन के बड़े दल झामुमो और कांग्रेस के बीच बोर्ड-निगम, आयोग, बीस सूत्री निगरानी समितियों में हिस्सेदारी तय नहीं हो सकी है। पद खाली पड़े हैं और कांग्रेस ने दबाव की राजनीति तेज कर रखी है। इस बीच सरकार में छोटा सा हिस्सेदार राजद ने भी अपनी दावेदारी ठोक दी है। राजद की दावेदारी के बाद झामुमो ने राजद की मांग को लेकर नसीहत दी है।
हेमन्त सरकार में राजद छोटा सा हिस्सेदार है। राजद का महज एक विधायक है, सत्यानंद भोक्ता। उसे भी उदारता दिखाते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने कैबिनेट में शामिल करते हुए श्रम विभाग की जिम्मेदी दे रखी है। खींचतान में बाद झामुमो ने विधानसभा चुनाव में राजद को सात सीटें दी थीं मगर उसके सिर्फ एक ही उम्मीदवार जीत सका था। ऐसे में एकमात्र विधायक को मंत्री बनाना झामुमो की उदारता ही कहेंगे। इधर राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने सहयोगी दलों के साथ बात करने के बदले प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि महागठबंधन की सरकार में राजद सहयोगी दल है। इसलिए बोर्ड निगम एवं आयोग के साथ बीस सूत्री में जिला उपाध्यक्ष, प्रखंड उपाध्यक्ष के पद पर हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
राजद ने बीस सूत्री में राज्य के छह जिला पलामू, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, देवघर एवं गोड्डा के साथ 29 प्रखंडों में हिस्सेदारी मांगी है। दलील यह कि सात विधानसभा सीटों पर राजद चुनाव लड़ा था जिसमें एक पर जीत हुई और छह पर दूसरे पायदान पर रहे। राजद की मांग के बाद झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राजद को नसीहत दी कि वह मुंह नहीं खोले, संख्या नहीं बताये। और मीडिया में जाने के बदले गठबंधन में उसे अपनी मांग रखनी चाहिए। सुप्रियो ने कहा कि राजद महागठबंधन में शामिल है। एक सीट जीतने के बावजूद उनके विधायक को कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजद चिंता न करे उसे अपेक्षा से ज्यादा स्थान मिलेगा। झारखण्ड में राजद के साथ झामुमो की उदारता के बावजूद बिहार के विधानसभा चुनाव में राजद की उदारता नहीं दिखी। सीटों की मांग ठुकरा दी।
नतीजतन झामुमो ने बिना तालमेल के अपना उम्मीदवार वहां उतारा था। जबकि पशुपालन घोटाला में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद जब न्यायिक हिरासत में लंबे समय यहां अस्पताल में रहे तो हेमन्त सरकार ने उनका पूरा ख्याल रखा था। इस कारण हेमन्त सरकार विवाद में भी पड़ी। देखना है कि बिहार में राजद द्वारा अपनी उपेक्षा के बाद झामुमो राजद को ''केक'' का कितना बड़ा टुकड़ा पकड़ाता है।