झारखंड के साइबर अपराधियों का खौफ बढ़ता जा रहा है। रांची हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रविरंजन ने अदालत में अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि उन्हें भी साइबर ठगों ने निशाना बनाने की कोशिश की थी। फोन कर कहा था कि आप ने नाप तौल से खरीदारी की है, लकी ड्रॉ में आपको टाटा सफारी कार निकली है। जब उन्होंने कोई तोहफा लेने से इनकार किया तो बैंक खाता नंबर मांगा गया ताकि कार के एवज में 12 लाख रुपये उनके खाते में डाला जा सके। इससे भी इनकार करने के बावजूद फोन आते रहे। जब उन्होंने प्राथमिकी कराने की धमकी दी तब कॉल आना बंद हुआ।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रविरंजन व न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ साइबर अपराध से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उसी क्रम में अपना खुद का अनुभव सुनाया। पीठ ने कहा कि साइबर ठगी का मामला गंभीर है कौन, कब ठगी का शिकार होगा कहना मुश्किल है। कल आपकी बारी भी हो सकती है। जमताड़ा जिला साइबर ठगी के कारण ही दुनिया में चर्चित हो गया है।
अदालत ने कहा कि साइबर ठगों के खिलाफ ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। उनकी संपत्ति जब्त करने की जरूरत है। नहीं तो साइबर अपराधी पकड़े जाने के बाद कुछ समय जेल में गुजारते हैं और फिर साइबर अपराध से अर्जित पैसे से मौज करते हैं। अपराधियों की संपत्ति जब्त करने संबंधी बिहार के कानून का हवाला देते हुए सवाल किया कि झारखंड में भी ऐसा कानून है क्या। पीठ ने केंद्रीय वित्त सचिव, निदेशक आयकर अनुसंधान व प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को मामले में प्रतिवादी कनाते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई की अगली तारीख 19 फरवरी मुकर्रर की गई है।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    