अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने पर 29 दिसंबर को झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन एक समारोह में 1200 करोड़ का तोहफड़ेंगे, 10 लाख किसानों के खाते में 3500-3500 रुपए ट्रांसफर करेंगे और भी अनेक योजनाएं की सौगात देंगे। तीन साल होने के एक दिन पूर्व मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि आदिवासी, पिछड़ों और दलितों के अधिकार केलिए उन्होंने बहुत काम किए। जीएसटी कंपनसेशन की अवधि पांच साल बढ़ाने, कोल कंपनियों के पास बकाया राशि का भुगतान कराने की केंद्र से अपेक्षा की वहीं केंद्रीय एजेंसियों का विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल पर असंतोष जाहिर किया। कहा कि तमाम संकटों के बावजूद उनकी सरकार ने तीन साल के कार्यकाल में आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को अधिकार के लिए कई काम किये। 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि में गिनाया।
उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान और पिछड़ों को आरक्षण को ले बाहरी-भीतरी और आदिवासियों की राजनीति करने का आरोप मुझपर लगता है। मुझे विपक्ष के आरोप नहीं उनके अधिकारों की चिंता है।
हाइकोर्ट में नियोजन नीति रद होने के बाद नियुक्ति पर विराम लगने पर कहा कि अदालत ने नियोजन नीति को रद किया है। हम उसके कानूनी पक्ष का अध्ययन कर रहे हैं। हमें नौजवानों के भविष्य की चिंता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान में उन्हें शक्तियां दी गई हैं। उन्हें संरक्षित किया गया है। इसके बावजूद, वे आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं। इसीलिए हमने बिल को 9वीं अनुसूची में डालने को कहा ताकि ऐसे खुराफाती लोग कोर्ट जायें तो भी हमारी मंशा सुरक्षित रहे। जीएसटी (कंपनसेशन) पर केंद्र पर वादे से मुकरने का आरोप लगाया और इसकी मियाद 5 साल बढ़ाने की मांग की। बिजली का बकाया, कई अन्य राज्यों का भी है, लेकिन उनकी बिजली क्यों नहीं कटती, हमारी क्यों कट जाती है? यह केंद्र का दोहरा आचरण है।
ईडी, आइटी और सीबीआइ जैसी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। विपक्ष को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। जबकि कनविक्शन की दर नगण्य है। सिर्फ 0.5 फीसदी। सौ दो सौ रेड हुए क्या मिला। उन्होंने सवाल किया सत्ता पक्ष के कितने लोगों पर इन एजेंसियों ने कारवाई की। एजेंसियां ईमानदारी से करवाई करें तो हमें आपत्ति नहीं। मेरा विरोध उनके पक्षपात को लेकर है। लोग समझते हैं। बड़े लोग अरबों का घोटाला कर रहे हैं। बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर चंपत हो जा रहे हैं। भगवान जाने 5 लाख करोड़ रुपये कब आयेंगे।
महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर मुख्यमंत्री ने कहा यह सिर्फ झारखंड नहीं देश के लिए चिंता का विषय है।