विकास के इस दौर में भी लोगों में बेटियों को लेकर मानसिकता नहीं बदली है। ऐसी ही घटना बोकारो जिला के गोमिया के सड़ाम केवट टोला से सामने आया है। केवट परिवार को तीन बेटियां और एक बेटा पहले से था। फिर जुड़वां बेटी हुई तो दो ऐसे परिवारों को दान कर दिया जिन्हें बच्चे नहीं थे। बेटियां हुईं इसलिए दान कर दिया, बेटा होता तो ऐसा नहीं करते। बेटियों के बाप मयंक खुद कहते हैं कि जब पत्नी गर्भवती हुई उसी समय हमने तय कर लिया था कि बेटी होगी तो किसी दूसरे को दे देंगे। इसके पीछे उनकी अपनी दलील है। कहते हैं कि एक कमरे में छह लोगों का परिवार रहता है। मयंक मछली मारकर और पत्नी शांति दूसरे के घरों में काम करके किसी तरह परवरिश करते हैं। और बेटियां हों तो उनके लिए पालने के बाद शादी में दहेज की भी जरूरत पड़ेगी। हमारे लिए यह कठिन था। तर्क और भी हैं, दूसरे घरों में चली गई तो वहां बेहतर जीवन जी सकेंगी। उनके घरों में भी किलकारियां गूंजेंगीं।
बीते शनिवार को बच्चा जना, घर लौटी उसके तुरंत बाद अपने जिगर के एक टुकड़े को कसमार के चंडीपुर निवासी और दूसरी बेटी को बगल के गांव होसिर के एक परिवार को सौंप दिया। दंपती ने इनकार किया कि उन्होंने बच्चे को बेचा है। जब पड़ोस के लोगों को घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने प्रशासन को इसकी जानकारी दी। मगर यहां गोद लेने का कानून प्रशासन के लोगों ने बेमानी करार दिया। गोमिया के बीडीओ अनंत कुमार इतना भर कहते हैं कि उचित कदम उठाया जायेगा। जरूरत पड़ी तो परिवार की मदद की जायेगी।