रांची। संयुक्त बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे गिरिडीह जिला के गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र के साथ चढ़ती ठंड के बीच झारखंड की राजनीति अचानक गरमा गई है। कयास लगाया जाने लगा है कि झारखंड में सत्ता बदलने वाली है। इसे सीधे तौर जमीन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के सातवें और अंतिम समन तथा खुद के नाम माइनिंग लीज के मामले में राजभवन में लंबे समय से पड़े बंद लिफाफा से जोड़कर देखा जा रहा है।
जानकार मानते हैं कि हेमंत सोरेन लालू यादव के फार्मूले को अपनाने जा रहे हैं। लालू प्रसाद चारा घोटाले में फंसे थे तो तमाम नेताओं को दरकिनार कर अपनी पत्नी राबड़ी देवी पर भरोसा किया था। सीएम बनाया था। हेमंत सोरेन भी अपनी पत्नी कल्पना सोरेन केलिए रास्ता बना रहे हैं। सरफराज अहमद का इस्तीफा इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। सरफराज परिवार के साथ दिल्ली में थे। साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर को रांची आए, इस्तीफा दिया और वापस लौट गए। विधानसभा सचिवालय ने भी फौरी कारवाई करते हुए 1 जनवरी को अधिसूचना जारी करते हुए 31 दिसंबर के प्रभाव से गांडेय विधानसभा को रिक्त घोषित कर दिया।
सरफराज ने पत्रकारों से कहा मैंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है। दो दिनों में इसका खुलासा हो जाएगा। यह भी कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष हूं और रहूंगा। ऐसे में साल के अंतिम दिन दिल्ली से आकर इस्तीफे के महत्व को लोग समझ सकते हैं। गांडेय का नतीजा आदिवासी और मुस्लिम वोटरों पर निर्भर करता है। जो जेएमएम के अनुकूल है। हाल ही हेमंत सोरेन ने कल्पना सोरेन का विधानसभा भ्रमण भी कराया था। विधानसभा सचिवालय ने 1 जनवरी को अधिसूचना जारी की और उस दिन हेमंत सोरेन खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने खरसावां गए हुए थे। गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे जिनकी पहल के बाद टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता गई के एक्स पर पोस्ट ने बवाल मचा दिया। उन्होंने तीन पोस्ट किए। पहले में लिखा कि "झारखंड के गांडेय विधायक सरफराज अहमद ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दिया, इस्तीफ़ा स्वीकार हुआ । हेमंत सोरेन जी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे, झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन जी होंगी । नया साल सोरेन परिवार के लिए कष्टदायक"
अगले पोस्ट में राज्यपाल, हेमंत की विधायक भाभी सीता सोरेन और भाई बसंत सोरेन को टैग करते हुए कहा, "राज्यपाल झारखंड को क़ानूनी सलाह लेना चाहिए,झारखंड विधानसभा का गठन 27 दिसंबर 2019 को हुआ । सरफराज अहमद का इस्तीफ़ा 31 दिसंबर को हुआ। एक साल से कम समय में चुनाव नहीं हो सकता । यह पार्टी हेमंत सोरेन जी की नहीं शिबू सोरेन जी की है, विधायक सीता सोरेन, विधायक बसंत सोरेन, चम्पई जी,मथुरा जी, साइमन व लोबिन,नलिन जी के खून पसीने की पार्टी का इतना बुरा हाल? वैसे गांडेय सीट NDA हर हाल में जीतेगी"
एक अन्य पोस्ट में लिखा कि "मुम्बई हाईकोर्ट के काटोल विधानसभा के निर्णय के अनुसार अब गांडेय में चुनाव नहीं हो सकता। काटोल विधानसभा जब महाराष्ट्र में ख़ाली हुआ तब विधानसभा का कार्यकाल 1 साल 50 दिन ख़ाली था। राज्यपाल महोदय यदि कल्पना सोरेन जी कहीं से विधायक नहीं बन सकती हैं तो मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी? कांग्रेस झारखंड को चारागाह बनाने की कोशिश कर रही है"l
जमशेदपुर से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को पराजित कर निर्दलीय विधायक बने पूर्व मंत्री सरयू राय ने एक्स पर पोस्ट किया कि "ख़ालिस क़यास है। जल्द होने की संभावना है। झारखंड में सत्ता बदलेगी तो नवागन्तुक के लिए गिरीडीह ज़िला की गाण्डे विधानसभा सीट ख़ाली होगी। गाण्डे वाले सज्जन मित्र राज्य सभा को सुशोभित करेंगे। ईश्वर से प्रार्थना कि नव वर्ष में जो भी हो राज्य,जनता,राजनीति के लिए शुभ हो.सभी को शुभकामनाएं।
सब ठीक रहा तो गाण्डे विधानसभा का उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हो सकता है। पर उसके पहले संभावित ग़ैर-विधायक मुख्यमंत्री को विधानसभा पटल पर बहुमत साबित करना होगा। यह अग्निपरीक्षा सरल नहीं होगी। फिर वैकल्पिक सरकार बनेगी या राष्ट्रपति शासन लगेगा या लोकसभा-विधानसभा के चुनाव साथ होंगे।" बहरहाल तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच उम्मीद की जा रही है कि तस्वीर एक सप्ताह में पूरी तरह साफ हो जाएगी।