आज के दौर में किसी को न्याय के लिए अदालत और थाना पुलिस का चक्कर लगाते लगाते जूते घिस जाते हैं मगर होता है सिर्फ फैसला। लोग कहते हैं न्याय नहीं मिला। मगर एक न बोलने वाले जीव की गवाही ने उसके मालिक को न्याय दिला दिया। यह सब किया एक घोड़े ने।
दरअसल गढ़वा जिला के डंडई प्रखंड के सुअरजंघा गांव के मंगल भुइयां को कोई दो माह पूर्व जंगल में एक घोड़ा मिला था। वह खुश हो गया और घर ले आया। कोई पूछता तो कह देता कि खरीद कर लाया है। इसी बीच अनानत अंसारी औ सदीक अंसारी नाम के दो लोग सुअरजंघा पहुंचे और कहा कि वे मेराल के रहने वाले हैं। घोड़ा का कारोबारी होने का हवाला देकर घोड़े पर दावा करने लगे। मंगल को कुछ शक हुआ तो उसने विरोध किया और दोनों को बंधक बना लिया। इस बीच विवाद और शोर हुआ तो करीब के पचौर गांव के प्रहलाद साव भी पहुंचे और खुद को घोड़ा का मालिक बताने लगे। विवाद बढ़ा तो गांव के ही मुखिया अजय सिंह ने पंचायत बुलाई। संशय रहा कि निर्णय कैसे किया जाये। अंतत: पशु के मालिक के प्रति प्रेम के फार्मूले को आजमाया गया। पंचायत में ही घोड़े को दूर बांध कर एक-एक कर सभी दावेदार को घोड़े के पास भेजा गया। जब प्रहलाद की बारी आयी तो घोड़ा लिपटकर प्यार का इजहार करने लगा। मालिक के पहचान की गवाही दे दी। बस पंचों ने घोड़े के प्यार की गवाही पर फैसला सुना दिया। अन्य लोगों ने अपनी गलती मान ली। पंचायत ने सब को चेतावनी देकर छोड़ दिया। और प्रहलाद दो माह से लापता घोड़े को पाकर प्रसन्न चित वापस चला गया।