रांची। ग्रामीण इलाकों में हाथ में कानून लेने के एक से एक नजारे सामने आ रहे हैं। लगता है लोगों को पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं रहा। खुद तत्काल न्याय सुना दे रहे हैं। गुमला में दुष्कर्म के आरोप में दो लोगों को जला दिया गया तो गिरिडीह में दुष्कर्म की शिकार हुई महिला को ससुराल वालों ने जला दिया।
बुधवार की देर रात गुमला जिला के वसुआ अंबाटोली में नाबालिग से दुष्कर्म से दो आरोपियों को पीड़िता के परिजनों ने जमकर पीटा फिर केरोसिन तेल छिड़ककर आग लगा दी। दोनों गंभीर रूप से घायल हो गये। इलाज के क्रम में सुनील उरांव की मौत हो गई जबकि आशीष उरांव की हालत गंभीर बनी हुई है। गांव में तनाव है। पीड़िता और दुष्कर्म के आरोपी एक ही गांव के रहने वाले हैं। नाबालिग अपने माता-पिता के साथ शादी समारोह में पंडरा गई थी। लौटने के क्रम में बस नहीं मिला तो पीड़िता के पिता ने बाइक से गांव लौट रहे सुनील और आशीष को बेटी को साथ ले जाने को कहा। दोनों ने उसे बाइक पर बैठा लिया। रास्ते में ही दोनों ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और घर पहुंचा दिया। पीड़िता ने घर वालों को जानकारी दी तब परिजनों ने दोनों को पकड़कर बाइक के साथ फूंक दिया। वहीं गिरिडीह के बेंगाबाद में एक महिला के साथ दुष्कर्म के बाद ससुराल वालों ने महिला को जिंदा जलाने की कोशिश की। अधजली हालत में उसे सदर अस्पताल में भर्ती किया गया है। महिला ने अपने बयान में कहा है कि रात में वह शौच के लिए निकली थी तभी गांव के ही सुनील चौधरी ने पकड़ लिया और दुष्कर्म किया। उसने शोर मचाया तो कुछ ग्रामीणों के अतिरिक्त पति के बड़े भाई पहुंचे। तब ससुराल वालों ने मेरे साथ मारपीट की और केरोसिन तेल छिड़ककर आग लगा दी।
बीते मई माह में गुमला जिला के भरनो थाना क्षेत्र में रायकेरा वन समिति के पूर्व अध्यक्ष शमीम की ग्रामीणों और लकड़ी तस्करों की तीस-चालीस लोगों की भीड़ ने पीटकर हत्या कर दी। शमीम को दोष यही था कि उसने अवैध तरीके से लकड़ी काटने का विरोध किया था इसकी सूचना वनकर्मियों को दी थी। इसी साल जनवरी माह में गुमला के बगल के जिला सिमडेगा की घटना तो पूरे देश में चर्चित रही। संजू प्रधान की मौत पर खूब राजनीति भी हुई। संजू प्रधान पर आरोप था कि आदिवासियों की खूंटकटी प्रथा की अनदेखी कर जंगल से पेड़ काटकर बेच रहा था। करीब 500 ग्रामीणों की भीड़ ने संजू प्रधान को परिवार वालों के सामने जमकर पीटा और वहीं चिता सजाकर आग में झोंक दिया। इस तरह की और भी घटनाएं आती रहती हैं जब लोग खुद कानून हाथ में लेकर 'फैसला' कर देते हैं। पता नहीं लोगों को पुलिस प्रशासन पर भरोसा नहीं है या खुद पर संयम नहीं है।