केंद्र से तल्खी के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तीन मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) को अनुरोध भरा पत्र लिखा है। पलामू, दुमका और हजारीबाग मेडिकल कॉलेजों में आधारभूत संरचना और फैकल्टी की कमी को देखते हुए एनएमसी ने नामांकन पर रोक लगा दी थी। तीनों कॉलेजों में सौ-सौ यानी तीन सौ सीटें हैं। एनएमसी के अध्यक्ष डॉ सुरेश चंद्र शर्मा को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने कहा है कि जो कमियां हैं उन्हें इसी माह 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जायेगा। जब एनएमसी का रोक संबंधी पत्र आया था मुख्यमंत्री ने इसे पक्षपाती कार्रवाई बताते हुए कहा था कि देवघर एम्स में आधारभूत संरचना के सिर्फ पांच फीसद काम हुए हैं मगर वहां रोक नहीं लगी। जबकि राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में आधारभूत संरचना के 95 फीसद काम हो चुके हैं इसके बावजूद रोक लगा दी गई है।
एनएमसी अध्यक्ष को लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य के योग्य छात्रों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित हो इसके लिए एनएमसी पुनर्विचार करे। बता दें कि एनईईटी द्वारा परीक्षा फल प्रकाशित होने के बाद शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। एनएमसी ने आधारभूत संरचना और फैकल्टी की कमी को लेकर नए नामांकन न लेने का आदेश जारी किया है। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत तीनों मेडिकल कॉलेज खोले गये हैं। केंद्र सरकार ने 340 करोड़ और राज्यांश के रूप में राज्य सरकार ने करीब 393 करोड़ दिये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्धाटन किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से नवनिर्मित कॉलेजों में आधारभूत संरचना सहित कुछ काम शेष हैं लेकिन राज्य सरकार मेडिकल कॉलेजों की जरूरतों और काउंसिल के नार्म्स को पूरा करने के लिए जागरूक और प्रतिबद्ध है ताकि आदिवासी बहुल इस राज्य के छात्रों की उम्मीद व्यर्थ न जाये। एसोसिएट प्रोफेसर राज्य के इन पिछड़े जिलों में काम करना नहीं चाहते इसलिए राज्य सरकार नियुक्ति के प्रावधानों में कुछ संशोधन करने जा रही है ताकि रिक्तियों को भरा जा सके। इससे लगता है कि पदों को भरने में थोड़ा समय लगेगा। और केंद्र व राज्य के मध्य बढ़ी तल्खी के बीच एनएमसी का रवैया क्या होता है देखने वाला होगा।