झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पश्चिम.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की और दो साल से लटकी चंदनकियारी-गोविंदपुर बिजली लाइन का रास्ता साफ हो गया। इसके पश्चिम बंगाल से छह किलोमीटर गुजरना था। मंजूरी के अभाव में काम आगे नहीं बढ़ रहा था। पश्चिम बंगाल में कम समय में विधानसभा चुनाव है और वहां भाजपा अपना पूरा ताकत लगा रही है। इससे वहां चुनावी संघर्ष कठिन होता दिख रहा है। ऐसे में ममता को खेल बिगाड़ने की क्षमता रखने वाले छोटे दलों के मेहरबानी की जरूरत पड़ सकती है। झारखंड के कुछ जिले पश्चिम.बंगाल से सटे हैं। झामुमो भी वहां कोई 35 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है।
ममता बनर्जी की बिजली लाइन को लेकर हरी झंडी से हेमंत सोरेन भी राहत महसूस करेंगे। इस लाइन से झारखंड के दो जिलों धनबाद और बोकारो की डीवीसी (दामोदर वैली कारपोरेशन) से निर्भरता खत्म हो जायेगी। वही डीवीसी जिसके बिजली बिल का बकाया केंद्र सरकार ने झारखंड के खजाने से काट लिया है। और कटौती को लेकर केंद्र सरकार से झारखंड के रिश्ते तल्ख हो गये। मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख दिया। जाहिर है चंदनकियारी-गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन को बंगाल की हरी झंडी दे ममता ने एक प्रकार से शॉफ्ट चारा फेका है।
दरअसल यह ट्रांसमिशन लाइन पश्चिम बंगाल में संथालडीह होकर गुजरती है। वहां 26 टावर बनने हैं। प्रस्ताव स्वीकृति के लिए ममता बनर्जी के कार्यालय में दो साल से लटका हुआ था। और मंजूरी के अभाव में झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लाइन का निर्माण नहीं करा पा रहा था। इससे धनबाद का गोविंदपुर और चंदनकियारी बिजली नेटवर्क से नहीं जुड़ पा रहा था। फलत: चंदनकियारी का ग्रिड सब स्टेशन बनने के बाद भी चालू नहीं हो सका था। लाइन के चालू होने से धनबाद सेंट्रल ग्रिड से जुड़ जायेगा और धनबाद व बोकारो की डीवीसी पर निर्भरता पूरी तरह से समाप्त हो जायेगी।