रांची। एक तरफ हेमन्त सरकार नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति लाकर उद्यमियों को आकर्षित करने में लगी है दूसरी तरफ हेमन्त सोरेन के लोग टाटा से भड़के हुए हैं। कोल्हान के लगभग सभी सीटों पर झामुमो का कब्जा है और तमाम विधायक आर्थिक नाकेबंदी पर उतारू हैं। पार्टी ने केंद्रीय लोक उपक्रमों के खिलाफ भी मोर्चा खोलने का एलान किया है। टाटा के खिलाफ पार्टी के रुख को देखते हुए लगता है कि आने वाले दिनों में टाटा की परेशानी और बढ़ने वाली है। बीच का रास्ता कैसे निकले इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर उम्मीदें टिकी हैं, मगर इस मसले पर अभी तक वे खामोश हैं जबकि कोल्हान उबल रहा है।
टाटा कमिंस का मुख्यालय पुणे शिफ्ट करने के खिलाफ, टाटा स्टील में वर्ग तीन और चार के पदों नियुक्ति और अप्रेंटिस परीक्षा में आदिवासी, मूल वासी को 75 प्रतिशत आरक्षण तथा एक करोड़ रुपये तक का काम स्थानीय को देने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने वाले जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ट्वीट किया कि टाटा कमिंस का कार्यालय तीन साल पहले ही पुणे शिफ्ट हो गया है। अब पैन नंबर में पता बदलने के लिए आयकर विभाग ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है कि इस पर राज्य सरकार की अनापत्ति नहीं प्राप्त है तब खलबली मची। राज्य सरकार को इस पर पहल करनी होगी। बयान देने वाले अपनी सरकार को कहें। झारखंड के सरकारी-गैर सरकारी बड़े उद्योगों का मुख्यालय दिल्ली, पुणे, मुंबई, कोलकाता है। इनका क्षमता विस्तार राज्य के बाहर हो रहा है। जरूरत है इस पर विचार करने की कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। सरकार आगे क्या करे कि ऐसा न हो।
17 से 19 नवंबर तक टाटा की कंपनियों के गेट पर झामुमो ने तीर धनुष और नगाड़ों के साथ बड़ा प्रदर्शन किया, गेट-जाम किया। कोल्हान की अधिसंख्य सीटों पर झामुमो का कब्जा है और आंदोलन में झामुमो के लगभग सभी स्थानीय विधायक मुखर रूप से शामिल हैं। टाटा प्रबंधन को बीस दिनों की मोहलत देते हुए चेतावनी दी गई उसके बाद कंपनी के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी की जायेगी। नाकेबंदी मतलब किसी गाड़ी को न तो कंपनी के परिसर में प्रवेश करने दिया जायेगा न बाहर आने दिया जायेगा। टाटा स्टील, टाटा मोटर्स व टाटा कमिंस सहित सहायक कंपनियों, खदानों में झामुमो के गेट जाम आंदोलन का नेतृत्व घाटशिला के झामुमो विधायक रामदास सोरेन कर रहे थे। आंदोलन में पोटका विधायक संजीव सरदार, जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी, खरसावां विधायक दशरथ गगराई, ईचागढ़ विधायक सविता महतो आदि की सक्रिय भूमिका है। रामदास सोरेन के अनुसार गुरुवार को कोल्हान क्षेत्र के विधायकों, केंद्रीय कमेटी व जिले के वरीय नेताओं की बैठक में आंदोलन को तेज करने का निर्णय किया गया है। गुरुवार की बैठक में परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को भी पूरी स्थिति से अवगत कराया गया है। चंपई सोरेन कहते हैं कि टाटा कंपनी कर्मचारियों का भी शोषण कर रही है, जबरिया निकाला जा रहा है। सीएसआर का पैसा कहां खर्च होता है, कंपनी हिसाब नहीं देती। सारी स्थिति से वे मुख्यमंत्री को अवगत करायेंगे। पूरे मामले में सरकार टाटा स्टील से बात करेगी। रामदास सोरेन ने आउटलुक से कहा कि इस मसले पर कोल्हान के विधायकों के साथ दो-तीन दिनों के भीतर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ बैठक होगी। तत्काल टाटा प्रबंधन को 20 दिनों की मोहलत दी गई है उसके बाद नाकेबंदी आंदोलन चलेगा। अपनी मांगों के संबंध में टाटा के चेयरमैन को भी पत्र लिखा है मगर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
झामुमो के माउथ पीस पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अपने अधिकार के लिए टाटा कंपनी की तरह कोल कंपनियों, रेलवे, सेल और अन्य केंद्रीय लोक उपक्रमों के खिलाफ आंदोलन किया जायेगा। टाटा के खिलाफ आंदोलन को जायज बताते हुए झामुमो महासचिव ने कहा कि डेढ़ सौ साल तक हमारी छाती पर लोहा चलाने वालों का अपना काम हो गया तो वे राज्य छोड़कर भागने में लगी हैं। हमें 75 प्रतिशत रोजगार (स्थानीय लोगों को) और और एक करोड़ रुपये तक का ठेका मूलवासियों, आदिवासियों को देना पड़ेगा। कोल कंपनियों, रेल, सेवा केंद्रीय उपक्रमों सभी को यह देना होगा नहीं तो संघर्ष होगा। उनकी पीड़ा के पीछे डीवीसी द्वारा राज्य के खजाने से कटौती, कोयला कंपनियों के पास लीज आदि मद में बकाया भी है। सुप्रियो के बयान पर आपत्ति करते हुए भाजपा के प्रदेश महामंत्री डॉ प्रदीप वर्मा ने कहा कि सेल, रेल और कोल कंपनियों के खिलाफ बोलकर उन्होंने भारत के संघीय ढांचे पर प्रहार किया है। कभी झामुमो सुप्रीमो भी देश के कोयला मंत्री रहे, उन्हें बताना चाहिए कि उनके कार्यकाल में आदिवासी, मूलवासी को कितना लाभ पहुंचाया।
आंदोलन की हवा देखते हुए जमशेदपुर पश्चिम विधायक, कांग्रेस कोटे से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बिरसा जयंती पर टाटा द्वारा बिरसा को बिसरा दिये जाने को लेकर विरोध जताया, प्रदर्शन किया। और मुख्यालय बाहर ले जाने की कोशिशों पर कड़ी आपत्ति जाहिर की। पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के रघुवर दास को पराजित करने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने टाटा मसले पर लगातर ट्वीट किया। मुख्यमंत्री को टैग करते हुए लिखा कि झारखंड में औद्योगिक विडंबना की वर्तमान स्थिति पर श्वेत पत्र लायें। 2018 में टाटा हिताची खड़गपुर गया, टाटा कमिंस पुणे गया, टाटा मोटर्स का विस्तार लखनऊ, पंत नगर, पुणे में हुआ। केबुल कंपनी बंद हुई, ऊषा मार्टिन टाटा का हुआ तो मुख्यालय रांची से मुंबई गया, नुकसान हुआ झारखंड को। टाटा स्टील और सरकार के बीच हुए लीज समझौता के अनुसार पूरे जमशेदपुर में नागरिक सुविधाएं टाटा स्टील को देना है वह भी सरकारी दर पर। मगर सुविधा नहीं मिलने की शिकायत लोग कहां करें इसका प्रावधान समझौता में नहीं है। कंपनी पर भड़ास निकालने वाले इस बारे में सरकार से भी पूछने की हिम्मत करें। एक अन्य ट्वीट में लिखा कि किसने रोका है जमशेदपुर को नगर निगम बनाने या औद्योगिक नगरी नहीं बरने से। जिस विषय का निदान सरकार की संचिकाओं में होना चाहिए, वह समाचार पत्रों की सुर्खियां बनकर रह जाता है तो जनता के संदर्भ में इसे क्या कहा जाए ......। लीज समझौता अनुसार टाटा स्टील को जमशेदपुर के नागरिकों को जन सुविधाएं देनी हैं। इस बारे में विधानसभा में उठे सवालों का सही जवाब झारखंड सरकार नहीं देती है तो इसके लिए कौन दोषी है। इस बारे में कंपनी पर भड़ास निकालने वाले अपनी सरकार के गिरेबान में तो झांकें। जानकार बताते हैं पूरे कोल्हान के झामुमो विधायक टाटा के खिलाफ लग गये हैं। टाटा का टॉप प्रबंधन इतने विधायकों से बात करने से रहा। जाहिर है मुख्यमंत्री की पहल से ही इस आग पर पानी पड़ सकता है, लेकिन किन शर्तों पर यह बाद में पता चलेगा।
झारखंडः टाटा के खिलाफ हुए हेमन्त के लोग, केंद्रीय उपक्रमों के खिलाफ भी खोलेंगे मोर्चा, सीएम पर टिकी उम्मीद
रांची। एक तरफ हेमन्त सरकार नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति लाकर उद्यमियों को आकर्षित करने में लगी है...
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