रांची। चुनाव आयोग और ईडी के माध्यम से हेमन्त सोरेन और उनके कुनबे की घेरेबंदी के बाद भाजपा ने सोरेन परिवार की संपत्ति को लेकर हमला बोला है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शिबू सोरेन और उनके परिजनों के नाम पर 108 संपत्ति है जिसकी अनुमानित कीमत करीब ढाई सौ करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि जनता को बताना चाहता हूं कि जिसे आपने राज्य का मुखिया चुना है उसे जनता की नहीं बल्कि अपने परिवार की चिंता है। उन्होंने कहा कि सोरेन परिवार सिर्फ और सिर्फ राज्य को लूटने का काम किया है। इस राज्य की लूट कर अकूत सम्पति का साम्राज्य खड़ा किया है। जब खुद पर संकट आता है तो आदिवासी कार्ड खेलने लगते हैं कि भाजपा को एक आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं पच रहा।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल द्वारा शुरू की गई कार्रवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक दिन पहले ही रोक का आदेश दिया है। और 14 दिसंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है। पीठ ने कहा कि कार्यवाही की स्थिरता के संबंध में शिबू की आपत्ति पर भ्रष्टाचार विरोधी प्राधिकरण द्वारा विचार नहीं किया गया था। गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा 2020 में शिकायत के आलोक में लोकपाल ने शिबू सोरेन के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा अगर सम्पति की जांच हो तो अकूत सम्पति मिलेगी। अभी हाल ही में लोकपाल की अदालत से शिबू सोरेन जांच मामले को कुछ दिनों के लिए स्टे किये जाने के बाद से लगातार न्यूज़ चैंनल, समाचार पत्रों एवम सोशल मीडिया शिबू सोरेन परिवार को मिली राहत जैसी भ्रामक खबर फैल रही है।
उन्होंने कहा कि सोरेन परिवार ने अभी तक 33 सम्पत्ति की इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तथा चुनाव आयोग को दिए अपने हलफनामा में घोषणा की है। लेकिन जो कागजात और सबूत मेरे पास है उसके अनुसार 108 सम्पति इस परिवार के नाम से है। जो लगभग 250 करोड़ की है। इनकी सम्पति रांची से लेकर दुमका,दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक मे फैली हुई है। अगर अच्छे तरह से जांच हुई तो और सम्पति की खुलासा हो सकता है। लेकिन ये लोग जांच कराने से भाग रहे है।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, उनके पिता सांसद शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने अलग राज्य बनने के बाद पिछले 10- 12 वर्षों में 108 संपत्ति अर्जित की। जिसकी अनुमानित कीमत 250 करोड़ रुपये से अधिक है। जिस तेजी से संपत्ति बनाई है उस हिसाब से इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया जाना चाहिए। बाबूलाल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में सोरेन के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि मामला सात साल पुराना है इसलिए इसकी जांच नहीं होनी चाहिए। बाबूलाल ने इस पर काउंटर किया कि चोरी पहले की गई हो और पकड़ में अब आया हो तो क्या दोषी को सजा नहीं मिलनी चाहिए। यहां शायद ही किसी आदिवासी परिवार के पास इतनी जायदाद होगी। हालत तो यह है कि अपने नाम जमीन नहीं होने के कारण लोग पीएम आवास की सुविधा से भी वंचित हैं। हां स्मार्ट सिटी के नाम पर आदिवासियों की जमीन लूटी गई। उनके मकान तोड़ दिये गये।
एक दिन पहले ही लोकपाल के यहां शिकायत करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने टि्वट किया कि ''मैंने तो लोकपाल को सोरेन परिवार की 57 संपत्ति की लिस्ट दी थी। सीबीआई ने तो ज्यादा खेज लिया अब यह 82 है। मुख्यमंत्री हेमन्त जी के पास तो जवाब देने की भी फुर्सत नहीं है। न इलेक्शन कमीशन न इनकम टैक्स न ईडी न खाता न बही जो सोरेन परिवार कहे वही सही।'' दुबे ने टि्वट के साथ दस्तावेज भी अपलोड किया है। इसके पहले भी वे मीडिया से इस मसले पर बोल चुके हैं कि लोकपाल के पास मौजूद मामले में कार्रवाई हुई तो सोरेन परिवार को कोई भी सदस्य चुनाव लड़ने के योग्य नहीं रह जायेगा।