झारखण्ड में अंधविश्वास और झाड़-फूंक का सिलसिला थम नहीं रहा। चतरा के मयूरहंड में दस माह के दुधमुहे बच्चे की लाश फिर से जिंदा हो जाने की उम्मीद में तीन दिनों तक परिजन घर में रखे रहे। ज्यादा दिन नहीं हुए सिमडेगा में सांप काटने से तीन बच्चों की मौत हो गई थी। झाड़-फूंक से फिर जिंदा होने की आस लगाये परिजनों ने तीन दिनों तक उनकी लाश को घर में रखे रहा।
ताजा घटना चतरा जिला के मयूरहंड गांव की है। दिलीप भुइयां के दस माह का पुत्र बीते शनिवार को बेहोश हो गया, उसके नाम से खून बहने लगा। परिजन उसे अस्पताल ले गये जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। परिजन बच्चे की मौत को स्वीकार नहीं रहे थे। उसे घर ले आये। अपने धर्म गुरू के कहे अनुसार घर में बच्चे के शव को रखकर झाड़-फूंक और प्रार्थना में जुट गये। परिजनों को विश्वास था कि परम पिता परमेश्वर की आराधना से बेटा फिर जिंदा हो जायेगा।
तीन दिनों के बाद भी जब बच्चा जिंदा नहीं हुआ तो ग्रामीणों ने परिजनों को समझाया कि वह मर चुका है, जिंदा होने वाला नहीं है। फिर स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर आकर दिलीप को समझाया कि बच्चा मर चुका है। तब सोमवार की शाम बच्चे को दफनाया गया।