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झारखंडः खनन पट्टा लेने के मामले ने तूल पकड़ा,राज्यपाल से मिल भाजपा ने सीएम हेमन्त को हटाने की मांग की

रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा अपने नाम पर पत्थर खदान का लीज लेने का मामला तूल पकड़ रहा है।...
झारखंडः खनन पट्टा लेने के मामले ने तूल पकड़ा,राज्यपाल से मिल भाजपा ने सीएम हेमन्त को हटाने की मांग की

रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा अपने नाम पर पत्थर खदान का लीज लेने का मामला तूल पकड़ रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी आदि ने शुक्रवार शाम राज्यपाल से मिलकर हेमन्त सोरेन विधान सभा की सदस्यता के अयोग्य बताते हुए मुख्यमंत्री के पद से हटाने की मांग की है।
गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रेसकॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि हेमन्त सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पत्थर खदान की लीज ली है। इसे मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता का उल्लंघन बताया। रांची के ही अनगड़ा में खाता नम्बर 187 और प्लॉट नम्बर 482 में हेमन्त सोरेन ने अपने नाम से खनन पट्टा लिया है। इसके लिए वे वर्ष 2008 से प्रयासरत थे मगर मुख्यमंत्री बनने के बाद 16 जून 2021 को पत्थर खनन की स्वीकृति केलिए सैद्धांतिक सहमति के संबंध में विभाग ने आदेश जारी कर दिया। रांची जिला खनन कार्यालय ने 10 जुलाई 2021 को खनन योजना की स्वीकृति दे दी। रघुवर दास ने इससे संबंधित दस्तावेज भी सार्वजनिक किए। रघुवर दास के इस भंडाफोड़ के बाद सरकार या सत्ताधारी दल की ओर से कोई बिंदुवार खंडन नहीं किया गया है।
इधर शुक्रवार को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राजपाल से मुलाकात कर उन्हें इस संबंध में विस्तृत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत हेमंत सोरेन की अयोग्यता की मांग करने हेतु याचिका दाखिल किया है। कहा है कि झारखंड विधानसभा के सदस्य एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(e) के तहत अयोग्य हैं, (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 (ए) के तहत अयोग्य), की सदस्यता रद्द करने एवं कानून सम्मत कार्रवाई करने की कार्रवाई की जाए।
हेमन्त के आवेदन दस्तावेज आदि संलग्न करते हुए भाजपा नेताओं ने संविधान के प्रावधान, जनप्रतिनिधित्व कानून, गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों केलिए जारी आचार संहिता का हवाला देते हुए राज्यपाल के अधिकार की याद दिलाई है। कहा है कि उपरोक्त दस्तावेज को पढ़ने पर यह स्पष्ट होगा कि मुख्यमंत्री ने एक लोक सेवक के रूप में भी आपराधिक कदाचार किया है और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2) के तहत कार्यवाही के लिए उत्तरदायी है।
ऊपर बताए गए तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हेमंत सोरेन को झारखंड विधानसभा के सदस्य होने के साथ-साथ झारखंड के मुख्यमंत्री के पद से हटाने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए और उनके खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया जाए ।

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