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झारखंड: नाबालिग को सौतेले मां-बाप ने दो महीने तक बांधकर रखा, फिर भी नहीं पसीजा दिल; ऐसे मरी थी अपनी मां

रांची के चान्‍हो की सरिता जैसी कहानी फिर दोहराई गई है। मानसिक रूप से बीमार नाबालिग सरिता को उसके...
झारखंड: नाबालिग को सौतेले मां-बाप ने दो महीने तक बांधकर रखा, फिर भी नहीं पसीजा दिल; ऐसे मरी थी अपनी मां

रांची के चान्‍हो की सरिता जैसी कहानी फिर दोहराई गई है। मानसिक रूप से बीमार नाबालिग सरिता को उसके परिजनों ने सात साल से पांव में रस्‍सी से बांधकर रखा था। बीते नवंबर में खबर वायरल हुई मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन, सिने अभिनेता सोनू सूद मदद को सामने आये थे। अब गुमला की नाबालिग लक्ष्‍मी का मामला सामने आया है। मगर यह मानसिक रूप से उतनी कमजोर नहीं है। देखना है इसकी मदद को कौन सामने आता है।

गुमला जिला के घाघरा प्रखंड के नौडीहा गांव की नाबालिग लक्ष्‍मी को उसकी ही सौतेली मां और पिता ने दो माह से लोहे की बेड़‍ियों से जकड़कर रखा था। घर में बूढ़ी दादी सहमनिया भी थी मगर उसकी सुनता कौन। जब कभी खोलने को कहती तो बेटे-बहू से उल्‍टा खरी खोटी सुनने को मिल जाती। खुद लक्ष्‍मी को भी पिटाई का सामना करना पड़ता। मां-बाप पड़ोस के जिले में किसी रिश्‍तेदार के यहां गये थे। मौका देख नाबालिग बेड़‍ियों के साथ किसी तरह भाग निकली। गम्‍हरिया पहुंची जहां एक स्‍वयंसेवी संगठन मिशन बदलाव के सुरेश यादव की नजर उस पर पड़ी तो अपने साथ घर ले गये। पुलिस की मदद से वेल्डिंग दुकान से उसकी बेड़ी काटकर उसे मुक्‍त कराया गया। सुरेश ने मुखिया और ग्रामीणों से भी संपर्क किया। डीसी और दूसरे लोगों को भी ट्वीट कर जानकारी दी। सुरेश के अनुसार लड़की बातचीत में सामान्‍य दिखती है। बच्‍ची बोलती है कि सौतेली मां उसे प्रताड़‍ित करती है, वह घर नहीं जाना चाहती।

ग्रामीणों के अनुसार जब वह कोई एक-डेढ़ साल की थी उसकी मां का निधन कुएं में डूबने से हो गया था। बाद में उसके पिता मनोज उरांव ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां का व्‍यवहार उसके साथ ठीक नहीं था। पिता गरीबी के कारण इलाज कराने में सक्ष्‍म नहीं थे। दादी ही मूलरूप से उसका देखभाल करती थी। अंधविश्‍वास और गरीबी जो न कराये। परिजनों का मानना है कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। इतने पैसे नहीं थे कि बाहर बेहतर इलाज करा सके। झाड़फूंक कराया मगर कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में जब उसकी तबीयत को लेकर शक होता या बाहर जाना होता तो उसे बेड़‍ियों में बांध दिया जाता। लक्ष्‍मी के पिता के अनुसार मानसिक स्थिति ठीक न रहने के कारण बिना बताये घर से बाहर भाग जाती थी इसलिए उसे बेड़‍ियों में बांधकर रखते थे। घाघरा पुलिस के अनुसार बच्‍ची के पांवों की बेड़‍ियां कटवा दी गई है। उसे सीडब्‍ल्‍यूसी को सौंपने जा रहे हैं। मां-बाप के वापस लौटने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।

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