कोरोना संक्रमण के घटते मामलों के बीच सरकारी जांच और इलाज से वंचित सुदूर ग्रामीण इलाकों से संक्रमण और मौत की खबरें तेजी से आ रही हैं। इसे देखते हुए झारखण्ड सरकार ने अपना पूरा फोकस ग्रामीण इलाकों पर केंद्रित कर दिया है। सरकार ने 25 मई से पांच जून तक डोर-टू-डोर जाकर जांच अभियान चलाने का निर्णय किया है ताकि ग्रामीण इलाकों की हकीकत सामने आ सके।
इधर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा है कि कोरोना के आंकड़े घट रहे हैं मगर अभी चैन से बैठने का अवसर नहीं है। हमारा सारा फोकस ग्रामीण इलाकों में टी थ्री यानी टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर है। इधर संक्रमण के ज्यादा मामलों वाले 12 जिलों में मोबाइन वैन से जांच कराने का निर्णय किया गया है। रांची, धनबाद, गढ़वा, गुमला, सिमडेगा, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, पाकुड़, लातेहार, साहिबगंज और जामताड़ा में एएनएम और सहिया गांव-टोलों में जाकर सैंपल एकत्र करेंगी और मोबाइल वैन को सौंपेंगी।
गामीण इलाकों में जांच बढ़ाने की खातिर जांच अभियान के लिए सखी मंडल की दीदियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, एएनएम, सीएचओ आदि के प्रशिक्षण का काम शुरू हो गया है। इन्हें ऑक्सी मीटर से ऑक्सीजन, फीवर, कोरोना के अन्य लक्ष्णों की पहचान की ट्रेनिंग दी जा रही है। गांवों में दो माह के भीतर किसी सदस्य की मौत हुई है तो अनिवार्य रूप से परिवार के सभी सदस्यों की जांच होगी, रैपिट एंटीजन बूथ भी रहेगा। संक्रमित पाये जाने पर मानक के हिसाब से उनका इलाज होगा। हर पंचायत में आइसोलेशन सेंटर के निर्माण का काम भी शुरू हो गया है ताकि संक्रमितों को वहां रखा जा सके। तबीयत ज्यादा बिगड़ने की स्थिति में ऐसे लोगों को कोविड सेंटर भेजा जायेगा। होम आइसोलेशन की स्थिति में कोरोना किट का वितरण किया जायेगा। विकास आयुक्त सह अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने ग्रामीण इलाकों में जांच अभियान के लिए कार्य योजना पहले ही भेज दिया है, उसी के अनुरूप काम शुरू हो गया है।