बीएमडब्ल्यू पर सवारी करना बहुतों का सपना होता है मगर झारखंड की राजधानी रांची में इससे कचरा ढोते हुए देख आपको आश्चर्य हो सकता है। मगर इसके मालिक प्रिंस राज सिन्हा ऐसा ही कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से बीएमडब्ल्यू एक्स-1 कोई डेढ़ साल पुरानी है। 41 लाख रुपये में रांची में ही खरीदने वाले प्रिंस ने कहा कि ऐसा वे अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए कर रहे हैं। एक सप्ताह से इस गाड़ी से कचरा उठवा रहे हैं। उम्मीद के साथ कार खरीदी थी अपने पिताजी को देने के लिए।
किस्सा बताते बताते उनका स्वर थोड़ा तल्ख होता है, कहते हैं डेढ़ साल में करीब एक साल से गाड़ी सर्विस सेंटर में है। एक काम ठीक होने के बाद चार दिन गाड़ी बाहर निकली नहीं कि दूसरी समस्या। समस्या कुछ और थी ठीक कराया तो एसी गड़बड़, एसी ठीक कराया तो पॉवर ब्रेक फेल। इसी तरह की समस्या लगातार आ रही है। और बिल पकड़ा दिया साढ़े तीन लाख रुपये का। बिल पर कोई सवाल कीजिए तो सब एक-दूसरे विभाग पर थोप देते हैं। बोले संभव है गाड़ी में कोई दिक्कत न हो मगर परेशानी सर्विस सेंटर वालों से है। आजिज आकर उन्होंने कचरे वाली तस्वीर को सोशल मीडिया पर अपलोड किया। इसके बारे में भी उन्हें भी मेल किया मगर किसी ने नोटिस नहीं लिया। अब बैठ के बात करने और मामला सेटल करने के लिए फोन आ रहा है।
प्रिंस बताते हैं कि गाड़ी से मन नहीं भरा तो 80 लाख की कीमत वाले बीएमडब्ल्यू एक्स-4 को लेना तय किया। इसी सितंबर में चेक दे दिया मगर कह दिया कि मर्सडीज से कंपेयर करने के बाद बोलूंगा तब चेक बैंक में भेजियेगा। कंस्ट्रक्शन काम करने वाले प्रिंस बाहर जा रहे थे इसलिए ऐसा कहा था। मगर पैसे निकाल लिये गये। प्रिंस के अनुसार जब मैने सवाल किये तो एकाउंट्स, सेल और पर्चेज वाले एक दूसरे पर चूक मढ़ने लगे। मैं पहली गाड़ी से आजिज आ गया था अंतत: तय किया कि उसे वहीं वापस कर दिया जाये। अंतत: 23 लाख रुपये में बात तय हुई। मैने कहा इसे घटाकर नई गाड़ी में एडजस्ट कर दें। मगर एक्स-4 में चीटिंग से मन और तल्ख हो गया। एक्स-4 की डील रद कर दी।
प्रिंस को लगता है कि एक्स-4 की डील रद करने के कारण ही उसे एक्स-1 को लेकर जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। अंतत: दो अक्टूबर को मर्सडीज खरीदकर 6 अक्टूबर को अपने पिताजी को जन्मदिन पर भेंट किया। प्रिंस कहते हैं कि यह समस्या सिर्फ मेरी नहीं है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद 18 लोगों ने मुझे फोन किया जो इसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे थे। इधर कंपनी के महाप्रबंधक रौशन कुमार ने आउटलुक से कहा कि शुरू में ही एक टायर ब्रस्ट हो गाथा उसी हालत में लंबी दूरी तय करने की वजह से दूसरी परेशानी पैदा होने लगी। सर्विस में बदले जाने वाले सामान की कीमत खुद अदा करनी पड़ती है। कंपनी मजदूरी में छूट दे सकती है। वैसे कस्टमर इज आलवेज राइट, बॉस की तरह। वैसे 2015 से यहां ब्रांच है और कोई साढ़े चार सौ गाड़यिां निकली हैं। अधिसंख्य तो संतुष्ट हैं।