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शिबू सोरेन की बहू क्‍यों हुईं हेमंत सरकार पर हमलावर

संतालपरगना की बेहतरीन सड़कों को लेकर चुनाव में भाजपा के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री रघुवर दास अपनी...
शिबू सोरेन की बहू क्‍यों हुईं हेमंत सरकार पर हमलावर

संतालपरगना की बेहतरीन सड़कों को लेकर चुनाव में भाजपा के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री रघुवर दास अपनी सरकार की मार्केटिंग करते थे। उसी सड़क को लेकर शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन ने हेमंत सरकार पर हमला बोला है। लोग इसका निहितार्थ तलाशने में जुटे हैं।  रघुवर दास के कार्यकाल में एजेंडा के तहत झामुमो के गढ़ संतालपरगना में सड़कों पर काफी काम हुए। जिधर से गुजरिये बिना ब्रेकर की चमचमाती हुई सड़कें।

सीता सोरेन ने एक दिन पहले टि्वटर पर मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन और दुमका डीसी को टैग करते हुए लिखा कि देवघर - दुमका एनएच की तरह अविलंब दुमका- रामगढ़ रोड पर भी कार्रवाई और ध्‍यान देने की जरूरत है। जिला प्रशासन काल बन चुकी इन सड़कों पर ध्‍यान नहीं देगी तो मजबूरन मुझे जन प्रतिनिधि का कर्तव्‍य निभाते हुए जनता के साथ सड़क पर उतरना पड़ेगा।

दूसरे पोस्‍ट में लिखा कि अभी कोरोना काल में विधायक निधि पर भी रोक लगी हुई है, इसलिए जनता की जान-माल की रक्षा के लिए सड़क पर उतर कर जर्जर सड़कों की मरम्‍मत के लिए श्रमदान आंदोलन के अलावा दूसरा रास्‍ता नहीं बचा है। अन्‍यथा, जनहित में अविलंब मरम्‍मत हेतु संज्ञान लिया जाये।

हालांकि सीता सोरेन की चेतावनी के बाद सड़कों पर मिट्टी डालने का काम शुरू हो गया। मीडिया में मुद्दा गरमाया तो सीता सोरेन ने सोमवार 31 अगस्‍त को  सफाई देते हुए लिखा कि मैंने सरकार के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला, जनहित में अपने क्षेत्र की जनता के साथ खड़ी हूं। उप राजधानी में जनता की जान-माल की रक्षा के साथ अच्‍छी सड़क मिले, बिजली, पानी के साथ मूलभूत सुविधाओं में सुधार हो इसके लिए प्रशासन को आइना दिखाना जरूरी है। यानी कानून-व्‍यवस्‍था, बिजली, पानी आदि पर गुंजाइश अभी बाकी है। हाल ही दुमका-देवघर मार्ग पर सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के छह लोगों की मौत पर उन्‍होंने प्रशासन और सरकार की खिंचाई की थी।

हेमंत सरकार की आलोचना करने वाली सीता सोरेन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू और मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं। इनके पति स्‍वर्गीय दुर्गा सोरेन की अपने समय में  झामुमो के कद्दावर नेता के रूप में पहचान थी।

शिबू, दुर्गा सोरेन को ही अपना उत्‍तराधिकारी बनाना चाहते थे। मगर 39 साल की उम्र में वर्ष 2009 में दुर्गा सोरेन की मौत हो गई। उसके बाद दिशोम गुरू ने अपने मंझले बेटे हेमंत सोरेन को उत्‍तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ाया।

दुर्गा सोरेन दुमका के जामा विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ते थे। उनकी मौत के बाद वहां की जनता ने उनकी पत्‍नी सीता सोरेन को अपना नेता मान लिया।

नतीजा है कि सीता सोरेन झामुमो की टिकट पर तीन टर्म से जामा से विधायक हैं। इस बार के चुनाव नतीजे के बाद जब हेमंत कैबिनेट का गठन हो रहा था, सीता सोरेन को मंत्री बनाये जाने की चर्चा जोरों पर थी। अभी भी हेमंत सरकार में मंत्री का एक कोटा खाली है। और कांग्रेस इसके लिए दबाव बनाये हुए हैं। जानकार मानते हैं कि अमूमन चर्चा से किनारे रहने वाली सीता सोरेन के अचानक आक्रामक होने के पीछे की असली वजह यही है।

 

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