रांची। अगले लोकसभा चुनाव में अभी समय में मगर पार्टियां अभी से अपने पाकेट को ठीक करने में जुटी हैं। इसी कड़ी में आदिवासी वोटों को मोहने के लिए भाजपा ने 23 और 24 अक्टूबर को रांची में अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की। जमीन वापसी के लिए सख्त कानून बनाने, बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित हुए तो केंद्र की भांति राज्यों में इन्हें आरक्षण का लाभ दिलाने, आयोग और वित्त निगम गठित करने जैसे मसले उठे। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में धरती आबा भगवान बिरसा पर चर्चा की।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां जनजातियों के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीटों में से सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली। इसलिए भाजपा को आदिवासी वोटों की चिंता ज्यादा ही है। बहरहाल भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की रांची में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक और उसमें जनजातीय समाज के उपेक्षित रहे सवालों पर झामुमो ने भाजपा को जमकर घेरा। पत्रकारों से बात करते हुए झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 88 वें मन की बात में भगवान बिरसा की याद आई जब यहां जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हो रही है। उन्होंने धरती आबा के उसूल की बात की और कॉरपोरेट के लिए जमीन किस प्रकार से लूटी जा रही है। इस पर ध्यान नहीं है। भाजपा के लोग किस मुंह से कहते हैं कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आदिवासी समाज का विकास हो रहा है। दो दिन की बैठक में किसी भी कार्यकर्ता, नेता ने पी पेसा का उल्लेख नहीं किया। यह पांचवीं अनुसूची के रक्षा कवच का सबसे बड़ा रक्षा सूत्र है, दूसरा किसी नेता ने जनगणना में सरना धर्म कोड के बारे में एक भी बात नहीं कही, जबकि विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित है और राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए टीएसी ने राज्यपाल को प्रस्ताव सौंपा है। असम में चाय बगान में झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा के आदिवासी जो वहां तीन सौ सालों से वहां रह रहे, चाय बगानों में रह रहे हैं को जनजाति का दर्जा असम सरकार देगी बतायें। वहां भाजपा की छह साल से सरकार है। सबसे आश्चर्य की बात की असम में टी ट्राइब वेलफेयर मिनिस्ट्री है। उसके मंत्री संजय किशन हैं इस बैठक में शामिल तक न हुए। ऐसे गंभीर मसले उपेक्षित रहें तो फिर माथापच्ची का क्या लाभ। केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने एकल विद्यालय का मुद्दा उठाया कि राज्य सरकार बाधा दे रही है।
झामुमो महासचिव ने सवाल किया कि किस अनुसूचित प्रखंड में राज्य सरकार ने बाधा पहुंचाई है, खुली चुनौती देता हूं। झूठ बोलना बंद करें। अर्जुन मुंडा बतायें कि यूपीएससी में आदिवासी के लिए 65 आरक्षित सीटें हैं उसके 60 प्रतिशत सीटों पर राजस्थान के एक ही ट्राइब का कब्जा होता है। बाकी देश के आदिवासियों की स्थिति क्या है। शर्म आनी चाहिए अर्जुन मुंडा को। फॉरेस्ट एक्ट है, रेवेन्यू विलेज बनाने की बात है 2005 में झामुमो ने संसद में उठाकर मान्यता दिलाई थी। आज आप ड्राफ्ट लेकर आये हैं फॉरेस्ट रेगुलेशन एक्ट पर। इसकी जरूरत क्या है। जब फॉरेस्ट राइट एक्ट बना हुआ है। नाटक करने के लिए रांची बचा हुआ है क्या। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनजाति के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीटों में 26 सीटों पर लोगों ने भाजपा को नकारा है। राज्यपाल से भाजपा के लोग मिले हैं, उन्हें आग्रह करना चाहिए था कि जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल कर लीजिए।