अदालत ने कहा कि वह विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिकाओं पर तभी सुनवाई करेगा, जब वे आंदोलन खत्म करेंगे। अदालत ने कन्हैया से यह हलफनामा भी मांगा कि वह विश्वविद्यालय को सही ढंग से काम करने देंगे और वहां कोई आंदोलन नहीं होगा।
न्यायाधीश मनमोहन ने कहा, आप (कन्हैया) पिछले 16 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को आंदोलन खत्म करने के लिए स्पष्ट तौर पर कह सकते हैं और विश्वविद्यालय को उचित ढंग से काम करने दे सकते हैं। उन्होंने कहा, उन्हें (जेएनयू विद्यार्थियों को) अपने आंदोलन, हड़ताल खत्म करने होंगे। आपको तत्काल हड़ताल वापस लेनी होगी। कोई भी भूख हड़ताल पर बैठा हुआ नहीं होना चाहिए। अदालत ने वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन से कन्हैया को यह कहने के लिए कहा कि वह छात्रों से हड़ताल खत्म करने को कहे।
अदालत ने कहा कि आप (कन्हैया) छात्र नेता हैं और यदि आप छात्रों से कहेंगे तो वे आपकी बात मानेंगे और हड़ताल समाप्त कर देंगे। आप इस आंदोलन को वापस लीजिए क्योंकि आप ऐसा कर सकते हैं। न्यायाधीश ने कहा, यदि आप हमारे निर्देशों का पालन करते हैं, तभी मैं अपने समक्ष आई याचिकाओं पर सुनवाई करूंगा। न्यायाधीश ने कहा, न्यायपालिका में यकीन रखिये। आपको एक हलफनामा देना होगा कि आप हड़ताल खत्म कर रहे हैं और कॉलेज को उचित ढंग से काम करने देंगे। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई आंदोलन नहीं होगा। अदालत ने कन्हैया के वकील से कहा कि वह उन्हें हड़ताल खत्म करने के लिए मनाएं।
जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की ओर से अदालत में पेश हुए वकील और अन्य ने कहा कि वे छात्रों से संपर्क करके अदालत को वापस बताएंगे। अदालत ने छात्र नेता की ओर से कोई जवाब दिए जाने तक के लिए मामले को स्थगित कर दिया है। विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती देने वाली कन्हैया कुमार और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान अदालत ने ये निर्देश दिए। कन्हैया, अश्वती ए नायर, ऐश्वर्या अधिकारी, कोमल मोहिते, चिंटू कुमारी, अन्वेषा चक्रवर्ती और दो अन्य ने उनके खिलाफ जारी किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती दी थी। उमर खालिद और अनिर्बाण भट्टाचार्य ने इस सप्ताह उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ अदालत का रुख किया था। उमर पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अनिर्बाण को जेएनयू परिसर में 23 जुलाई से लेकर पांच साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।