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'जूता मार होली' के रंग में ना हो भंग, इसलिए हर साल इस शहर की मस्जिदों को ढक दिया जाता है, फिर ऐसे मनाई जाती है

होली खुशियों और रंगों का त्योहार है। आज 29 मार्च सोमवार को पूरा देश होली के रंग में सराबोर हो रखा है।...
'जूता मार होली' के रंग में ना हो भंग, इसलिए हर साल इस शहर की मस्जिदों को ढक दिया जाता है, फिर ऐसे मनाई जाती है

होली खुशियों और रंगों का त्योहार है। आज 29 मार्च सोमवार को पूरा देश होली के रंग में सराबोर हो रखा है। कोरोना महामारी की वजह से कई राज्यों में पाबंदियां भी लगाई गई है। 'बुरा ना मानो होली है...' की बातों को इस महामारी की वजह से 'होली ना खेलुं तो बुरा ना मानों...' में बदल दिया गया है। हर राज्य में होली के दिन कुछ-ना-कुछ अनोखा किया जाता है। जैसे यूपी में मसान होली और लठमार होली प्रसिद्ध है। 

लेकिन, इन चर्चाओं के बीच यूपी में जूतामार होली भी खेली जाती है। इसको लेकर इस साल भी प्रशासन ने सांप्रदायिक तनाव ना हो, इसके लिए शाहजहांपुर ज़िले की मस्जिदों और मजारों को तिरपाल से ढक दिया गया है। यहां 'जूतामार' होली की एक अनोखी परंपरा चली आ रही है जिसमें क़रीब आठ किमी लंबा 'लाट साहब' का जुलूस निकाला जाता है।

दरअसल, इस जुलूस में एक व्यक्ति को लाट साहब के रूप में भैंसा गाड़ी पर बैठाया जाता है। उसके बाद फिर उसे जूते और झाड़ू मारते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है। इस दौरान शहर के आम लोग भी लाट साहब को जूते फेंक कर मारते हैं। इसी को लेकर ऐहतियातन ये कदम उठाया जाता है। हालांकि, पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक आज तक इस जुलूस में किसी भी तरह की हिंसा और तनाव की खबरें नहीं आई है। करीब ये परंपरा आठ से दस सालों से होती चली आ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस जुलूस के दौरान बीच में छह बड़ी मस्जिदों के अलावा कई छोटी मस्जिदें और कुछ मज़ारें पड़ती हैं। दो दिन पहले जिले के आला अधिकारियों की स्थानीय लोगों के साथ बैठक की गई है जिसमें सौहार्द बनाए रखने पर चर्चा हुई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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