राजस्थान की तीन विधानसभा सीटों पर 17 अप्रैल से उपचुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव प्रचार के लिए केवल छह दिन ही बाकी है जिसकी वजह से प्रचार अभियान जोरों पर है। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी का रूख कुछ बदला सा दिखाई दे रहा है। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अब तक चुनाव प्रचार से दूरी बनाई रखी है जिसकी कमी को पूरा करने के लिए भाजपा ने उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है। आपको बता दें कि इन तीनों क्षेत्रों में वसुंधरा राजे की मांग नजर आ रही है। जिसकी वजह से भाजपा को अपने प्लान में बदलाव करने पड़े हैं।
प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी के खिलाफ निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता ने विधानसभा चुनाव के दौरान दावा किया था कि 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ कराएंगे, लेकिन आज तक राजस्थान में ऐसा नहीं हुआ। उस दौरान बड़े नेता द्वारा यह भी कहा गया था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम मुख्यमंत्री बदल देंगे।
अपने चुनावी प्रचार में जनता को संबोधित करते हुए सिंधिया ने मध्य प्रदेश सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकार की जमकर तारीफ कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान ने किसान सम्मान निधि में प्रत्येक किसान को छह हजार दिए तो हमारी सरकार ने उसमें चार हजार और जोड़कर कुल 10 हजार रुपये किसानों तक पहुंचाए है।
उन्होंने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ को एक ही सिक्के के दो बहलु बताते हुए आगे कहा कि जो सरकार किसानों, नौजवानों को धोखा दे उसे धूल चटाने का काम मैंने किया है। मुझे कुर्सी और सत्ता की भूख नहीं है, लेकिन अगर जनता के साथ अन्याय और भ्रष्टाचार की बात हो तो मैं जान देने को भी तैयार हूं। इस प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य ने ग्वालियार और गंगापुर के संबंधों के बारे में बताते हुए भाजपा प्रत्याशी रतनलाल जाट के लिए वोट देने की अपील की।
जानिए ग्वालियार और गंगापुर के बीच रिश्ता
सिंधिया परिवार का राजस्थान के सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गंगापुर से 230 साल पुराना नाता है। पहले गंगापुर के एक दर्जन गांव ग्वालियर रियासत के अधीन आते थे। जिसकी वजह से इस क्षेत्र में सिंधिया परिवार का प्रभाव रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया हमेशा गंगापुर और ग्वालियर के बीच इस संबंध के बारे में बताते हैं।
बताया यह भी जाता है कि मेवाड़ राजपरिवार की बेटी गंगाबाई ग्वालियर राजघराने की बहु थी। 230 साल पहले उदयपुर के महाराणा और देवगढ़ के उमराव के बीच अनबन हो गई थी। जिनके समझौते के लिए गंगाबाई उदयपुर आई थी। उदयपुर से ग्वालियर वापस जाते वक्त उनका निधन हो गया था। जिसके कारण गंगाबाई के नाम पर गंगापुर कस्बे का नामकरण किया गया। उस समय मेवाड़ राजपरिवार के कई गांव ग्वालियर राजघराने को सौपे गए थे।