जम्मू कश्मीर के बहुचर्चित कठुआ रेप और हत्या केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह केस पंजाब की पठानकोट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामले की रोजाना सुनवाई हो और सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में कैमरे लगे हों। केस की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
Kathua case: Supreme Court refused a CBI inquiry in the matter after relying on the state investigation.
— ANI (@ANI) May 7, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को पठानकोट कोर्ट के लिए अपना सरकारी वकील नियुक्त करने की भी इजाजत दे दी है और यह भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार पीड़िता के परिवार, वकील और गवाहों को पूरी सुरक्षा दे।
वहीं, पठानकोट में केस ट्रांसफर किए जाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'सुरक्षा मुख्य मुद्दा है। हमारे पास पठानकोट में सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त हैं।' साथ ही कैप्टन अमरिंदर ने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि पीड़ित परिवार को सुनवाई के दौरान पूरी सुरक्षा दी जाए।
Security is the main concern, we have adequate security in Pathankot: Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh on transfer of #Kathua case to Pathankot Court pic.twitter.com/z6bzcd9vVk
— ANI (@ANI) May 7, 2018
इस केस को दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने का आरोपियों और राज्य सरकार ने विरोध किया था। आरोपियों ने इस केस की सीबीआई जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी, जबकि महबूबा सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया है।
मृतक बच्ची के पिता ने केस की सुनवाई चंडीगढ़ ट्रांसफर करने की अपील की थी।
क्या है मामला?
क्राइम ब्रांच की चार्जशीट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में 10 जनवरी को 8 साल की एक बच्ची को अगवा किया गया था। उसे रासना गांव के एक मंदिर में बंधक बनाकर गैंगरेप किया गया। बाद में उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई। 17 जनवरी को उसका शव मिला।
इस मामले में गांव के एक मंदिर के 60 साल के सेवादार सांझी राम समेत 8 लोग आरोपी हैं। इनमें एक (सांझी राम का भतीजा) नाबालिग है। सभी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
10 अप्रैल को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई। तब वकीलों ने पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने से रोका। इसके बाद ही इस मामले ने तूल पकड़ा।