दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि जिस तरह से वह लोगों को मुफ्त सुविधाओं का ‘‘कड़ा विरोध’’ कर रही है, उससे लगता है कि केंद्र के वित्त में कुछ गड़बड़ है। अचानक लोगों के हितों की चीजों का विरोध क्यों किया जा रहा है।
केजरीवाल ने अग्निपथ रक्षा भर्ती योजना, केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 42 फीसदी से घटाकर 29 फीसदी करने, खाद्य पदार्थों पर लगने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और मनरेगा कोष में 25 फीसदी कटौती का हवाला देते हुए पूछा कि सरकार का सारा पैसा कहां है?
सीएम केजरीवाल ने कहा कि केंद्र पेट्रोल और डीजल पर प्रति वर्ष 3.5 लाख रुपये सहित भारी मात्रा में कर एकत्र करता है, और अभी भी देश के लोगों को मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "अचानक ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सैनिकों को पेंशन देने के लिए भी धन की कमी का हवाला दे रहा है। ऐसा लगता है कि इसके वित्त में कुछ गड़बड़ है।"
केजरीवाल ने केंद्र पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उसने सुपर अमीर लोगों और उनकी कंपनियों के 10 लाख करोड़ रुपये के कर्ज और 5 लाख करोड़ रुपये के कर माफ कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह देश के इतिहास में पहली बार है कि केंद्र ने उनकी अग्निपथ योजना को सही ठहराते हुए कहा कि वे ऐसा कर रहे हैं इसलिए उन्हें अब रक्षा कर्मियों को पेंशन नहीं देनी होगी।
केजरीवाल ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में कभी भी सरकार ने बुनियादी खाद्यान्न पर कर नहीं लगाया। पेट्रोल और डीजल पर टैक्स 1000 करोड़ से अधिक है। वे अब कह रहे हैं कि सरकार की सभी मुफ्त चीजें खत्म होनी चाहिए, सरकारी स्कूलों, अस्पतालों में फीस ली जानी चाहिए। वे कह रहे हैं कि मुफ्त राशन बंद कर दिया जाए।