केरल सरकार वायनाड में बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं में बचने वालों या फिर अपनों को खोने वालों के निकट परिजनों के साथ-साथ मलबे से शव एवं मानव अंग निकालने के लिए भारी मशीनों का संचालन करने वाले कर्मियों को भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी काउंसलिंग दे रही है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि उसका मनोविज्ञान प्रभाग भारी मशीन का संचालन करने वाले कर्मियों को भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी काउंसलिंग प्रदान कर रहा है।
बयान के मुताबिक, काउंसलिंग के बाद भारी मशीन संचालकों को यह एहसास हुआ कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लगातार काम करने और दर्दनाक मंजर देखने से उनका हौसला नहीं डगमगा सकता।
इसमें बताया गया है कि बचाव अभियान में केरल के अलावा बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और कर्नाटक के भारी मशीन संचालक शामिल हैं, अत: विभाग अलग-अलग भाषाओं में काउंसलिंग प्रदान कर रहा है।
बयान के अनुसार, भूस्खलन से प्रभावित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए एक ‘मोबइल मेंटल हेल्थ यूनिट’ (मानसिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाला वाहन) तैनात की गई है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने एक बयान में कहा कि ‘मोबाइल मेंटल हेल्थ यूनिट’ व्यक्तिगत रूप से और समूह में, दोनों तरह की काउंसलिंग प्रदान कर रहा है तथा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
जॉर्ज ने सख्त निर्देश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी के बगैर शिविरों में प्रवेश नहीं करेगा और काउंसलिंग नहीं देगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, आपदा प्रभावित क्षेत्र में शिविरों और घरों में रहने वाले लोगों को विशेषज्ञ उपचार मुहैया करने के लिए एक सुपर-स्पेशियलिटी टेली-परामर्श सेवा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
राज्य के उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री आर बिंदू ने एक अलग बयान में कहा कि आपदा प्रभावित लोगों को टेली-काउंसलिंग सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि टेली-काउंसलिंग प्रणाली ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन’ (एनआईपीएमएआर) ने शुरू की है, जो सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत आता है।