जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के संकेत देते हुए उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि राज्य में चुनाव प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।। उन्होंने कहा,'यह एक विधायिका वाला एक केंद्र शासित प्रदेश है, यहां एलजी का शासन जारी नहीं रहेगा।' यह घोषणा उपराज्यपाल ने रियासी जिले के तलवाड़ा क्षेत्र में आयोजित कॉन्स्टेबल्स के 14 वें बैच की पासिंग आउट परेड में की।
'सुरक्षा बल करें तैयारी शुरु'
उन्होंने कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर पुलिस के कंधों पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी डाली जाएगी और वह होगी राज्य में शांतिपूर्वक विधानसभा चुनाव करवाना। इन चुनावों में उनकी अहम भूमिका रहेगी इसलिए वे अभी से इसके लिए तैयारी शुरू कर दें। उन्होंने उम्मीद जताई कि लोकसभा चुनावों की तरह लोग विधानसभा चुनावों में भी हिस्सा लेंगे। बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष निर्मल कुमार सिंह ने बुधवार को राजभवन में उपराज्पाल से मुलाकात की।
नजरबंद हैं अधिकांश राजनीतिक नेता
कश्मीर के अधिकांश महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती अभी भी 5 अगस्त से हिरासत में हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों के लगभग 50 अन्य नेता भी सेंतूर होटल में नजरबंद हैं जिसे उप-जेल घोषित किया गया है। राजनीतिक रिक्तता को भरने के लिए भाजपा द्वारा किए गए प्रयासों को अभी तक सफलता नहीं मिली है।
केंद्र सरकार अल्ताफ बुखारी, पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन बेग, कांग्रेस के उस्मान मजीद और अन्य जैसे नेताओं के संपर्क में है। चार नेताओं को हाल ही में 29 अक्टूबर को कश्मीर का दौरा करने वाले यूरोपीय संसद (एमईपी) के सदस्यों के सम्मान में आयोजित दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया गया था।
विशेष दर्जे को कर दिया था खत्म
31 अक्टूबर को मुर्मु ने केंद्र शासित प्रदेश के पहले उपराज्यपाल का पदभार संभाला। चुनाव कराए जाने का उनका बयान खासा अहम माना जा रहा है। इसी साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। यह बिल 30 अक्टूबर रात 12 बजे से लागू हो गया।
अनुच्छेद-370 के तहत मिले विशेष दर्जे को संसद द्वारा समाप्त कर दिया गया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बना। राज्य का पुनर्गठन होते ही जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले बनाए गए हैं। इसके साथ ही केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए।