तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम की याचिका को खारिज करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने आज होने वाली एआईएडीएमके आम परिषद की बैठक के लिए हरी झंडी दे दी है। मद्रास हाई कोर्ट ने अदालत के राजनीतिक दल के झगड़े में हस्तक्षेप नहीं करने की बात पर बरकरार रहते हुए अन्नाद्रमुक नेता एवं पूर्व समन्वयक ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) की आम परिषद की बैठक के संचालन पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक आज 11 जुलाई को यहां एक मैरिज हॉल में हो रही है। ऐतिहासिक बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी (ईपीएस) को पार्टी के एकल सर्वोच्च नेता के रूप में चुने जाने की उम्मीद है।
न्यायमूर्ति कृष्णन रामास्वामी ने सोमवार सुबह सुनाए फैसले में ईपीएस गुट को आम परिषद बैठक करने की अनुमति दे दी, जो तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल का सर्वोच्च निर्णायक निकाय है। ओपीएस और ईपीएस के वरिष्ठ वकीलों की लंबी दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने आठ जुलाई को आज के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने आम परिषद की बैठक को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि कानून के अनुसार बैठक की जा सकती है।
बता दें कि पनीरसेल्वम ने बैठक को रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दी थी, जिसमें अंतरिम महासचिव पद को पुनर्जीवित करने और समन्वयक के साथ-साथ संयुक्त समन्वयक पदों को समाप्त करने का प्रस्ताव था। वहीं हाईकोर्ट का फैसला आते ही पनीरसेल्वम समर्थकों ने ई पलानीस्वामी के नेतृत्व में पार्टी की आम परिषद की बैठक से पहले अन्नाद्रमुक कार्यालय का दरवाजा तोड़ दिया। इसके अलावा समर्थकों ने सड़क पर भी नारेबाजी की। हांलांकि विरोध के बावजूद एआईएडीएमके नेता पलानीस्वामी बैठक के लिए अपने आवास से रवाना हो गए। बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए रास्ते में एकत्र हुए।
बता दें कि अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) के वरिष्ठ नेता के.पी.मुनुसामी ने शनिवार को ओ.पनीरसेल्वम आरोप लगाते हुए कहा था कि पार्टी कोषाध्यक्ष ओ.पनीरसेल्वम ने सत्तारूढ़ द्रमुक से नजदीकी बना ली है और अब उनके साथ किसी भी तरह का संबंध रखना असंभव है। मुनुसामी ने कहा कि पनीरसेल्वम द्रमुक शासन का पक्ष ले रहे हैं और जब वह सत्तारूढ़ दल की प्रशंसा करेंगे तो इससे अलगाव की स्थिति उत्पन्न होगी।